पहाड़ के युवाओं के लिए मिसाल बना NDRF के जवान जयप्रकाश, कर रहे हैं ये नेक काम
श्रीनगर गढ़वाल में एसडीआरएफ के जवान जयप्रकाश जिन्हें अब लोग जेपी भाई के नाम से जानते हैं, कुछ ऐसी ही मिशाल बन रहे हैं.
श्रीगनर, कपिल पंवार: जीवन में कुछ करने की चाह हो तो ये मायने नही रखता कि आप कहां हो, कौन से पद पर हो और आपकी पृष्टभूमि कैसी हो बल्कि आपके मजबूत इरादे, कठिन परिश्रम और सेवाभाव से आपको समाज में अलग पहचान मिल जाती है. श्रीनगर गढ़वाल में एसडीआरएफ के जवान जयप्रकाश जिन्हें अब लोग जेपी भाई के नाम से जानते हैं, कुछ ऐसी ही मिशाल बन रहे हैं.
जय प्रकाश उत्तराखंड पुलिस में चयनित स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फॉर्स में तैनात हैं. जय प्रकाश पहाड़ में रहकर जो काम कर रहे हैं, उससे उन्हें एक नई पहचान मिली है. वह पहाड़ के उन युवाओं को सेना, अर्द्धसेना, पुलिस के लिए तैयार कर रहे हैं, जो अच्छी आर्थिक स्थिति न होने के कारण पढ़ाई और रोजगार की तलाश में पीछे छूट जाते हैं, नौकरी के दौरान ही कुछ साल पहले जयप्रकाश ने श्रीनगर गढ़वाल में एनआईटी के मैदान में कुछ युवाओं को शारीरिक फिटनेस के लिए मुफ्त कोचिंग देनी शुरू की.
उन्होनें अपनी इस मुफ्त कोचिंग को वेकअप ग्रुप नाम दिया, तो धीरे-धीरे उनके साथ सैकड़ों युवा जुड़ते गए. अब जय प्रकाश युवक युवतियों के बीच जेपी भाई नाम से फेमस हो गए हैं. उनका वेकअप ग्रुप लोगों के बीच एक प्रेरणा का स्त्रोत बन गया. जय प्रकाश बताते हैं कि 2002 में उन्होंने जब ग्रेजुएशन पास किया तो उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें पौड़ी के डोभ श्रीकोट गांव छोड़कर दिल्ली होटल में नौकरी करने जाना पड़ा.
पिता मिस्त्री काम करते थे. इसलिए उनके लिए नौकरी करना जरूरी था, लेकिन पुलिस में जाने की चाह कुछ ऐसी थी कि दिल्ली में रहकर भी उन्होंने अपनी उम्मीदों की उड़ान जारी रखी और कठिन परिश्रम से वह साल 2006 में पुलिस में भर्ती हो गये.
दिल्ली में नौकरी दौरान उन्हें हमेशा युवाओं का पहाड़ से छोटी-छोटी नौकरी के लिए जाना और शारिरिक, मानसिक, शैक्षिक योग्यता होने के बावजूद मार्गदर्शन के अभाव में दिशा से भटकने का दर्द महसूस होता था. इसलिए उन्होनें खुद नौकरी पाकर इस दिशा में समाज सेवा करने का मन बनाया.
जय प्रकाश जीवन में अनुशासन को भी सफलता का मंत्र मानते हैं, एसडीआरएफ की नौकरी के दौरान भागादौड़ी के बीच वे बच्चों को सुबह 4 बजे से 6 बजे तक फिटनेस कोचिंग देते हैं. वहीं, मेधावी बच्चों को वे साथियों की मदद से कम्प्यूटर व परीक्षा कोचिंग की सुविधा भी मुहैया करवा रहे हैं.