Navendu Mishra :  इस बार ब्रिटेन में हुए आम चुनाव के जश्न की गूंज भारत के उत्तर प्रदेश में भी सुनाई दे रही है. हो भी क्यों ने इस चुनाव में कानपुर के नवेंदु मिश्रा ने विदेश में जीत का डंका बजवाया है. इस बार लेबर पार्टी के नेता नवेंदु मिश्रा ने Stockport Seat से चुनाव जीते हैं. नवेंदु मिश्रा की जीत पर उनके परिवार के सदस्यों ने कानपुर में जमकर जश्न मनाया. आइए जानते हैं उनके इस सफर के बारे में कि कैसे कानपुर से निकलकर ब्रिटेन की राजनीति में धमक बनाई.


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कानपुर से पढ़ाई-लिखाई
नवेंदु शहर के आर्यनगर के निवासी रहे हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई कानपुर से ही हुई है. नवेंदु मिश्रा की मां गोरखपुर की रहने वाली है. उन्होंने ब्रिटेन में जीत हासिल करने के बाद कानपुर में अपने चचेरे भाई डॉ. हिमांशु को कॉल की और उनसे जीत का आशीर्वाद लिया. उसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों से भी बात की. नवेंदु मिश्र का परिवार कानपुर के आर्यनगर के गैंजेस क्लब के सामने रहता है.  उनके चचेरे भाई डा.हिमांशु मिश्र शिवराजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में चिकित्साधिकारी हैं.   चाचा प्रभात रंजन मिश्र मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर थे. 


बड़े भाई के छलके आंसू
आर्यनगर के घर में नवेंदू के बड़े भाई विधू शेखर मिश्र परिवार के साथ रहते हैं. परिवार में बेटे डा.हिमांशु के साथ ही बेटी डा.शिवानी मिश्र रहती हैं. बेटे हिमांशु ने बताया कि उनके दो चाचा नवेंदू मिश्र और द्विवेंदू मिश्र दोनों परिवार के साथ ब्रिटेन में ही रहते हैं.  कभी-कभी उनका इस घर में आना-जाना रहता है। 


अभी शादी नहीं
नवेंदु ने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ राजनीति शुरू कर दी थी.  राजनीति में इतना रम गए कि उन्होंने अपनी  शादी दो बार टाल दी. परिवार के लोग बताते हैं कि कोविड काल के दौरान लखनऊ में रिश्ते का कार्यक्रम  हुआ लेकिन उसी समय ब्रिटेन में चुनावी सरगर्मी शुरू होने के कारण वह कार्यक्रम रद हो गया और वह वापस चले गए थे. नवेंदु ने अभी तक शादी नहीं की है.


परिवार समेत चले गए थे ब्रिटेन
वर्ष 1998-99 में नवेंदु परिवार समेत ब्रिटेन की एक कंपनी में नौकरी करने चले गए. नवेंदु ने प्राथमिक शिक्षा कानपुर और फिर बडौदा से की. आगे की पढ़ाई उन्होंने लंदन में की.  वह 2019 में 29 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे. 


ब्रिटेन की राजनीति में भारतीय मूल और हिंदुओं का दबदबा 
बता दें कि ब्रिटेन की राजनीति में भारतीय मूल और हिंदुओं का दबदबा पिछले कई सालों में लगातार बढ़ा है. इस बार ब्रिटेन के चुनावों में रिकॉर्ड उम्मीदवार भारतीय मूल के जीते हैं. 107 भारतीय मूल के ब्रिटिशर्स ने चुनावों में जीत हासिल की है. इनमें लेबर पार्टी और कंजर्वेटिव पार्टी, दोनों में ही भारतीय मूल के लोगों की संख्या है. 


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