आलोक त्रिपाठी/ कानपुर देहात: कानपुर देहात स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में अचानक उस वक्त हड़कम्प मच गया, जब एक मुर्दा अपनी फरियाद लेकर जिलाधिकारी के सामने पहुंच गया. हाथ में शिकायती प्रार्थना पत्र लिए न्याय की गुहार लगाने लगा, मृतक बुजुर्ग महिला के हाथ मे प्रार्थना पत्र देख कार्यालय में सभी अधिकारी हक्के-बक्के रह गए. जिलाधिकारी से शिकायत करने के साथ ही मृतिका ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से खुद को जिंदा किये जाने की गुहार लगाई.


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कागजों पर घोषित कर दिया मृत
कानपुर देहात से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. दरअसल सरवन खेड़ा ब्लॉक के नहोली गांव की रहने वाली 95 वर्षीय बुजुर्ग महिला चंद्रावती को सरवनखेड़ा के खंड विकास अधिकारी ने कागजों पर मृत घोषित कर दिया. जिसकी जानकारी ना तो चंद्रावती को हुई ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य को लेकिन जब लंबे समय तक चंद्रावती को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन का पैसा नहीं मिला.


सरकारी सुविधाएं मिलना हुईं बंद
चंद्रावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर इस पूरे मामले की शिकायत की. जिसकी जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ की चंद्रवती को खंड विकास अधिकारी ने कागजों पर मृत घोषित कर दिया है. जिसके चलते उनको मिलने वाली सभी सरकारी सुविधाएं बंद कर दी गई हैं और जब यह जानकारी चंद्रावती को हुई तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. गांव में यह सूचना आग की तरह फैल गई और वहां लोग चंद्रावती को भूत-भूत कह कर पुकारने लगे.


तीन साल से मिल रहे कोरे आश्वासन
ऐसे में बुजुर्ग चंद्रावती की समस्याएं लगातार बढ़ने लगीं. इसके बाद चंद्रावती ने अधिकारियों की चौखट पर अपनी फरियाद सुनानी शुरू की. जिससे उन्हें सरकारी सहायता मिलने लगे और उनका जीवन आसान हो जाए लेकिन चंद्रावती की सुनने वाला कोई नहीं चंद्रावती ने बताया कि 3 साल पूरे होने जा रहें पर अभी तक मैं सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित हूं. सरकार जो पेंशन गुजर बसर के लिए देती थी वो भी बंद है. हर जगह सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिला है.


डीएम से लगाई मदद की गुहार
अब चंद्रावती ने जिला अधिकारी कार्यालय पहुंची और कानपुर देहात के जिलाधिकारी आलोक कुमार सिंह को पूरी घटना बताई. हालांकि जिला अधिकारी ने पूरे मामले में गंभीरता दिखाई और इस पूरे मामले की जांच कर की गई गलती को सुधार के निर्देश दिए हैं. वहीं मुख्य विकास अधिकारी ने लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई की बात कही है अब देखना यह होगा की चंद्रावाती पुनः कागजों पर कब जिंदा हो पाती हैं.


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