कानपुर/श्याम तिवारी: अब मोबाइल पर बिना डेटा खर्च किए टीवी चैनल दिखेंगे. आईआईटी कानपुर के शोध के बाद टीवी ब्रॉडकास्ट डायरेक्ट देखा जा सकेगा. इसके लिए 4G और 5G स्पेक्ट्रम की जरूरत नहीं पड़ेगी. सीधे ब्रॉडकास्ट स्पेक्ट्रम के जरिए मोबाइल पर टीवी चैनल देखे जा सकेंगे.


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आईआईटी कानपुर ने प्रसार भारती के साथ एक एमओयू साइन किया है. जिसके अंतर्गत सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना की जानी है. आईआईटी कानपुर प्रसार भारती के लिए कई नए शोध कर रहा है. इसी में एक शोध यह भी है जिसमें बगैर 4G और 5G स्पेक्ट्रम का प्रयोग किए सीधे ब्रॉडकास्ट स्पेक्ट्रम के जरिए टीवी चैनेल देखे जा सकेगें. नेक्स्ट जनरेशन ब्रॉडकास्टिंग की रिसर्च को इस सेंटर के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा.


सेलुलर नेटवर्क पर निर्भरता होगा कम
इंडिया में स्मार्टफोन पर वीडियो कंटेट का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जो मोबाइल डाटा की खपत का प्रमुख कारण है. ऐसे में मोबाइल फोन को सीधे प्रसारण की क्षमता से जोड़ना बेहद अहम हो जाता है. प्रसारण योग्य स्मार्टफोन और मोबाइल फोन उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो/ऑडियो सेवा मुहैया कराने में सक्षम होंगे, जिससे स्पेक्ट्रम का बेहतर तरीके से उपयोग हो सकेगा और सेलुलर नेटवर्क पर बोझ भी कम होगा.


प्रसार भारती और आईआईटी कानपुर 5G के वैश्विक मानकों के साथ प्रौद्योगिकियों को जोड़ने के उद्देश्य से मोबाइल प्रसारण क्षमता में विकास की संभावना तलाशेंगे. इससे रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के बीच कन्वर्जेंस की दिशा में भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल करने का रास्ता भी साफ होगा.


क्या है स्पेक्ट्रम?
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर अभय करंदीकर के मुताबिक, स्पेक्ट्रम अलग अलग प्रकार की फ्रीक्वेंसी का समुच्चय है. स्पेक्ट्रम में अलग-अलग फ्रीक्वेंसी के परिपथ होते हैं. जिनपर डेटा संचार करता है. स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल इस बात पर निर्भर करता है की तरंग की लंबाई कितनी है. उसकी वेवलेंथ कितनी है और कितनी दूर तक ऊर्जा ले जा सकती है.


क्या है स्पेक्ट्रम और ब्रॉडकास्ट में अंतर?  
मोबाइल के उपकरण स्पेक्ट्रम के अनुसार ही कार्य करते हैं.  जैसे जैसे फ्रीक्वेंसी बढ़ती जाती है डेटा का ट्रांसफर उतनी ही तेजी से होता है. जबकि ब्रॉडकास्ट में डाटा को पहले एक सिग्नल तक भेज जाता है. फिर वहां से पूर क्षेत्र में एक साथ ट्रांसफर किया जाता है. ब्रॉडकास्ट में एक ही डाटा कई जगह एक ही फ्रिक्वेंसी के साथ चलता है, जबकि मोबाइल में जो फ्रीक्वेंसी कार्य करती हैं. वे अलग अलग होती हैं, जब कभी मोबाइल में कुछ तकनीकी गड़बड़ी आती है तो हम देखते हैं कि मोबाइल कही कॉन्टेक्ट करने के बजाए कही और कनेक्ट हो जाता है. ये फ्रिक्वेंसी के बिगड़ने पर ही होता है. जबकि ब्रॉडकास्ट में एक ही चीज अनेक स्त्रोतों पा प्रसारित होती है.


आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने इन प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए प्रसार भारती का शुक्रिया अदा किया और कहा कि आईआईटी कानपुर ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में नई तकनीक के विकास में प्रसार भारती के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक है.


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