वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खुले केदारनाथ मंदिर के कपाट, PM मोदी के नाम से की गई पहली पूजा
आज सुबह पूरे विधि-विधान के साथ भगवान केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं. फिलहाल मंदिर में भक्तों के दर्शन पर सरकार ने रोक लगाई है.
हरेंद्र नेगी/रुद्रप्रयाग: भगवान केदारनाथ के कपाट सोमवार 17 मई को सुबह तड़के पांच बजे पूरे विधि-विधान के साथ आगामी छह महीने के लिए खोल दिए गए हैं.आज से भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना धाम में शुरू हो जाएगी. प्राचीन परंपरा के मुताबिक हर साल महाशिवरात्रि के ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का मुहुर्त निकाला जाता है. अब आने वाले छह महीने तक यहीं पर भगवान की पूजा संपन्न होगी. केदारनाथ भगवान के कपाट खुलने के बाद पहली पूजा प्रधानमंत्री के नाम पर की गई.
पहली पूजा प्रधानमंत्री के नाम पर
कोरोना संक्रमण के चलते कपाट खुलने के अवसर पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग जिला प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी तीर्थी पुरोहित हक्क- हक्कूधारी तीर्थी पुरोहीत एंव पण्ड़ा समाज के लोग उपस्थिति थे. फिलहाल मंदिर में भक्तों के दर्शन पर सरकार ने रोक लगाई है. मुख्य पुजारी ही केवल नित पूजाएं संपन्न कराएंगे. वही प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम मंदिर में की गई.
शनिवार को अपने धाम पहुंची डोली
कोरोना महामारी के कारण लगातार दूसरी बार डोली को प्रशासन की निगरानी में वाहन से पहुंचाया गया. बाबा केदार की डोली शनिवार को अपने धाम पहुंच गई. कपाट खुलने के बाद छह महीने तक धाम में ही आराध्य की पूजा-अर्चना की जाएगी. शीतकाल के छह महीनों तक पंचगद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विश्राम करने के बाद गत 14 मई को केदार बाबा की उत्सव डोली धाम के लिए रवाना हुई थी.
मंदिर के कपाट खुलने के पश्चात मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने स्यंभू शिवलिंग को समाधि से जागृत किया तथा निर्वाण दर्शनों के पश्चात श्रृंगार तथा रूद्राभिषेक पूजाएं की गई. कोरोना महामारी को देखते हुए चारधाम यात्रा अस्थायी तौर पर स्थगित है. धामों में केवल पूजापाठ संपन्न हो रही है यात्रियों को आने की अनुमति नहीं है. केदारनाथ के कपाट खुलते समय पूजापाठ से जुड़े चुंनिंदा लोग मौजूद रहे.
सीएम तीरथ ने जताई खुशी
प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर प्रसन्नता जताई है. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण अस्थाई तौर पर यात्रा स्थगित है सभी लोग वर्चुअली दर्शन करें तथा अपने घरों में पूजा-अर्चना करें. पर्यटनमंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कोरोना महामारी समाप्त होगी तथा शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होगी. उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पहल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से जनकल्याण की भावना के साथ सभी धामों में प्रथम पूजा संपन्न करवायी जा रही है.
11 क्विंटल फूलों से सजाया गया
श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर ऋषिकेश के दानीदाता सौरभ कालड़ा ग्रुप द्वारा श्री केदारनाथ मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया था.
किया गया कोरोना गाइडलाइन का पालन
कपाट खुलने के दौरान कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया. मास्क, सेनिटाईजर, थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य किया गया. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने कपाट खुलने के लिए एसओपी द्वारा ब्यापक दिशा निर्देश जारी किए.
आज खुलेंगे तृतीय तुंगनाथ और चतुर्थ केदार रूद्रनाथ के कपाट
तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट आज दोपहर में खुल रहे है जबकि चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट भी आज खुल रहे हैं. द्वितीय केदार मदमहेश्वर जी के कपाट 24 मई को खुल रहे हैं। जबकि गुरूद्वारा श्री हेमकुंड साहिब एवं श्री लक्ष्मण मंदिर के कपाट खुलने की तिथि अभी निश्चित नहीं है।
18 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई प्रात:4 बजकर 15 मिनट पर खुल रहे है. आज श्री योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी तथा तेलकलश (गाडू घड़ा) श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.
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कोरोना के चलते सादगी से कार्यक्रम
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण शासन द्वारा चारों धामों की यात्रा स्थगित किये जाने से इस बार भी भगवान केदारनाथ के कपाट सादगी से खोल गए. जबकि कुछ ही तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति मिली. कोरोना के चलते इस बार भी केदारपुरी में सन्नाटा पसरा हुआ है. बता दें कि पिछले साल भी कोरोना के कारण केदारनाथ की डोली रथ से रवाना होकर गौरीकुण्ड पहुंची थी. इस साल भी कोरोना की दूसरी लहर के चलते डोली को पुनः रथ से लेकर जाना पड़ा.
केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में यानी कि सर्दियों के मौसम में बंद कर दिए जाते हैं. जिसके बाद फिर अगले साल अप्रैल-मई के महीने में भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं.
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