मोहम्‍मद गुफरान/प्रयागराज: संगम की रेती पर महाकुंभ के शुरू होने से पहले मेला क्षेत्र साधु-संतों से गुलजार होने लगा है. अखाड़ों के साथ साधु संतों के तंबू भी मेला क्षेत्र में तन गए हैं. संगम तट पर देवरहा बाबा तपोस्‍थली पर श्रीराम नाम की ज्‍योति कई वर्षों से जल रही हैं. भीषण ठंड, मूसलादार बारिश और तपती धूप भी अखंड ज्‍योति की लौ को बुझा नहीं पाई. रोजाना हजारों लोग इस अखंड ज्‍योति की आते-जाते दर्शन करते हैं.  


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35 सालों से लगातार 24 घंटे जल रही अखंड ज्‍योति
यह अखंड ज्‍योति मेला क्षेत्र में साल 1989 से ऐसी ही जल रही है. इस अखंड ज्योति को देवरहा बाबा ने स्थापित किया था. गंगा के तट पर यह अखंड ज्योति 24 घंटे जलती रहती है. भीषण बाढ़ में भी गंगा की जल धारा के बीच जमीन से करीब 50 फीट ऊपर यूकेलिप्टस की लकड़ी पर यह अखंड ज्योति धर्म और अध्यात्म की अलख जगाए हुए है. खास बात यह है कि इस अखंड ज्योति के चारों तरफ धर्म ध्वजा भी लहराती रहती है. इसी के ठीक सामने देवरहा बाबा का जमीन से करीब 30 फीट ऊंचा घास फूस से बना मचान भी है. देवरहा बाबा भले ही ब्रह्मलीन हो गए हैं, लेकिन मचान में आज भी उनकी प्रतिमा स्थापित है. 


राम मंदिर आंदोलन के दौरान देवरहा बाबा ने जलाई थी अखंड ज्‍योति 
देवरहा बाबा की इस अखंड ज्योति की देखरेख करने वाले नवल किशोर दास ने बताया कि साल 1989 में जब राम मंदिर का आंदोलन तेज हुआ था, तब देवरहा बाबा के भक्तों ने पूछा कि गुरुदेव मंदिर कब तक बन जाएगा. तब उन्होंने इस अखंड ज्योति की स्थापना की और भक्तों को आश्वत किया था कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर अवश्य ही बनेगा. नवल किशोर दास बताते हैं कि यह अखंड ज्योति तभी से लगातार 24 घंटे जलती रहती है. बारिश और बाढ़ के दिनों में भी यह इसी तरह से धर्म और अध्यात्म की अलख गंगा की जल धारा में भी जगाए रखती है. 


तिल के तेल से जलाई गई अखंड ज्‍योति 
नवल किशोर दास ने बताया कि इस अखंड ज्योति को तिल के तेल से जलाई जाती है. उन्होंने बताया कि देवरहा बाबा दिगंबर स्वरूप में रहते थे, मचान से ही वह भक्तों को आशीर्वा देते थे. इसी लिए अखंड ज्योति के सामने ही उनका मचान भी रहता था. अब वह शारीरिक रूप से जरूर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा जलाई गई अखंड ज्योति हम सबके बीच धर्म और अध्यात्म की अलख को जगाए रखने का संकल्प का मार्ग दिखाती है. 


 



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