Prayagraj News: महाकुंभ 2025 को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. एक तरफ जहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए रहने, खाने, ठहरने, स्नान आदि के प्रबंध किये जा रहे हैं तो वहीं आखाड़ों के स्नान के लिए तैयारियां की जा रही हैं. 18 दिसंबर से मेला क्षेत्र में महाकुंभ के आकर्षण माने जाने वाले अखाड़ों को भूमि आवंटित की जाएगी. लेकिन उसके पहले अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन के बीच टकराव के हालात बनते नजर आ रहे हैं. अखाड़ों ने मेला प्रशासन के सामने पूर्व से निर्धारित 25 फ़ीसदी अधिक भूमि दिए जाने की मांग रख दी है. लेकिन मेला प्रशासन महज 5 फीसदी भूमि ही बढ़ाने की बात कह रहा है. ऐसे में अखाड़ों के संतो और मेला प्रशासन के बीच टकराव के हालात बनने लगे हैं.


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ज्यादा जमीन की मांग के पीछे क्या तर्क
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत दुर्गा दास ने कहा है कि सीएम योगी के साथ हुई बैठक में भूमि का मुद्दा उठाया गया था.  क्योंकि 6 साल में कुंभ और 12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है, इस दौरान अखाड़ों में संन्यासियों और संतो की संख्या बढ़ जाती है, जिसके चलते महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में उन्हें भूमि की जरूरत होती है. इसी के चलते 25 फ़ीसदी अधिक भूमि की मांग की गई है. लेकिन मेला प्रशासन महज 5 फीसदी भूमि ही बढ़ाने की बात कह रहा है. ऐसे में संतो और उनके भक्तों को महाकुंभ जैसे आयोजन में दिक्कतें होंगी.  हालांकि महंत दुर्गादास ने कहा है कि अभी इस मामले में एक बार और वार्ता के जरिए समाधान की कोशिश की जाएगी. क्योंकि मेला प्रशासन का यह फैसला अखाड़ों के संतो और महंतों के लिए दिक्कतें पैदा करने वाला होगा. 


मेला अधिकारी समाधान निकालने की कोशिश में जुटे
अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि महाकुंभ में भूमि आवंटन का काम 18 नवंबर से शुरू होगा. दो दिन सभी 13 अखाड़ों को भूमि उपलब्ध कराई जाएगी. उसके बाद अन्य संस्थाओं को भूमि आवंटित की जाएगी. अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने अखाड़ों के अधिक भूमि की डिमांड के सवाल पर बताया कि पूर्व के रिकॉर्ड के आधार पर भूमि आवंटित की जाएगी. अखाड़ों की जो भी बात होगी, उसका समाधान भी निकाला जाएगा. 


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