Mahakumbh 2025: महाकुंभ में रुद्राभिषेक या कौन सी हवन-पूजा कराएं, किस दिन कौन से यज्ञ और मंत्रोच्चार से मिलेगा पुण्य?

सनातन धर्म में महाकुंभ का काफी महत्व है. 12 साल बाद इसका आयोजन प्रयागराज में होने वाला है. महाकुंभ का शाही स्नान भी बेहद अहम माना जाता है. जिसे शुभ माना जाता है. इस दिन रुद्राभिषेक और रुद्र हवन का भी महत्व है. जानिए

पूजा सिंह Jan 09, 2025, 13:13 PM IST
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Mahakumbh 2025: सनातन धर्म में महाकुंभ का खास महत्व है. प्रयागराज में 12 साल बाद इसका आयोजन होने वाला है. कुंभ मेले का पहला शाही स्नान 13 जनवरी को होगा, जिसे सनातन धर्म में बेहद शुभ माना जाता है. 

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पहला शाही स्नान

इस साल पहला शाही स्नान सोमवार को होगा, जो भगवान शिव की पूजा करने के लिए बेहद खास है. सोमवार को देवों के देव महादेव की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ दिन माना जाता है.

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शिवलिंग का रुद्राभिषेक

पुराणों में महादेव को खुश करने के लिए कई अनुष्ठानों का जिक्र किया गया है, जिनमें से रुद्राभिषेक अहम है. इस अनुष्ठान में पवित्र मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग को उसके रुद्र रूप में स्नान कराना शामिल है.

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रुद्राभिषेक और रुद्र हवन

महाकुंभ में रुद्राभिषेक के साथ रुद्र हवन भी किया जाता है. ये आयोजन पहले शाही स्नान के दिन किया जाता है. मान्यता है कि इस पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें आर्थिक स्थिरता मिलती है.

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रुद्राभिषेक की विधि

आइए जानते हैं महाकुंभ में रुद्राभिषेक करने के लिए कैसे और कौन सी पूजा करवाएं? रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें. 

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गंगाजल से अभिषेक

सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें. फिर शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत, चंदन, तिल, धान, हल्दी, कुमकुम, बेलपत्र, आंकड़े के फूल, कमल के फूल, शमी के पत्ते वगैरह अर्पित करें.

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मंत्र का जाप

शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और पान पत्ता, बेलपत्र, सुपारी वगैरह अर्पित करें. हर द्रव्य अर्पित करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें. शिवलिंग के पास धूप-दीप जलाएं और शिवजी के मंत्र का 108 बार जाप करें.

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महादेव से प्रार्थना

महादेव की आरती करें और भगवान शिव से प्रार्थना करें. प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर शिव रुद्राभिषेक और रुद्र होम का आयोजन किया जाएगा. मान्यता है कि इस पूजा को करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है और उन्हें आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है.

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संतानोत्पत्ति से जुड़े यज्ञ

पौराणिक कथा के मुताबिक, सनातन धर्म में संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ करने की परंपरा है. इसे काम्य-कर्म नामक अनुष्ठानों की श्रृंखला का हिस्सा माना जाता है. अयोध्यापति दशरथ ने अपने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था.

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धन प्राप्ति के लिए यज्ञ

वैसे तो महाकुंभ में गंगा स्नान करना अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है, लेकिन धन प्राप्ति के लिए भी विशेष यज्ञ किया जाता है.

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डिस्क्लेमर

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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