Maha Kumbh Shahi Snan 2025: दुर्लभ संयोग में महाकुंभ 2025 की शुरुआत, जानें इसके नियम और शुभ मुहूर्त?
Maha Kumbh Snan: अगर आप महाकुंभ का पहला शाही स्नान करने जा रहे हैं तो सबसे पहले उसके नियमों के बारे में जान लें वरना आपको कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. मान्यता है कि शाही स्नान की परंपरा में सबसे पहले साधु-संत स्नान करते हैं उसके बाद ही आम श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा सकते हैं. मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान शाही स्नान करने से सारे पाप खत्म हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
महाकुंभ 2025
महाकुंभ मेले का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे भक्तों में कुंभ स्नान को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है. 114 साल बाद तीर्थनगरी प्रयागराज में पूर्ण कुंभ का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. महाकुंभ हर 12 साल पर लगता है और जब 12-12 वर्षों का 12वां चरण पूरा होता है तो उसे पूर्ण कुंभ कहा जाता है.
144 साल बाद संयोग
ऐसे में इस बार जो महाकुंभ लग रहा है इसका संयोग 144 साल बाद बना है. आइए जानते हैं कि इस साल अमृत स्नान (शाही स्नान) के लिए सबसे शुभ तिथियां कौन-कौन सी हैं.
महाकुंभ के पहले दिन अद्भुत संयोग
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, जिस दिन महाकुंभ का शुरू होगा उस दिन रवि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है. इस शुभ संयोग में स्नान और दान करने का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है.
रवियोग का शुभ संयोग
महाकुंभ के पहले दिन रवियोग का शुभ संयोग सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. रवि योग को शुभ कार्यों के लिए हिंदू धर्म में खास माना गया है.
कब से कब तक है कुंभ मेला 2025
इस बार महाकुंभ मेला पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है. जबकि इसका समापन फाल्गुन कृष्ण अमावस्या (महाशिवरात्रि) यानी 26 फरवरी को होगा. इस दिन महाकुंभ का आखिरी अमतृ स्नान (शाही स्नान) होगा.
कब-कब होगा शाही स्नान
पौष पूर्णिमा- 13 जनवरी 2025 मकर संक्रांति- 14 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या- 29 जनवरी 2025 बसंत पंचमी- 3 फरवरी 2025 माघी पूर्णिमा- 12 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि- 26 फरवरी 2025
अमृत की बूंद गिरी
प्रयागराज उन 4 स्थानों में से एक है, जहां पर अमृत की बूंद गिरी थीं. बाकी तीन स्थान हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम भी है, जिसे त्रिवेणी संगम कहते हैं.
सारे पाप हो जाते हैं खत्म
ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान अगर आप प्रयागराज आकर त्रिवेणी घाट पर स्नान करते हैं तो सारे पाप खत्म हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इन स्नानों में शाही स्नानों की तिथियों को बेहद शुभ माना जाता है.
शाही स्नान की परंपरा
शाही स्नान की परंपरा में सबसे पहले साधु-संत स्नान करते हैं, इसके बाद आम श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं.
ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति
महाकुंभ के समय ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण संगम का जल काफी पवित्र माना जाता है. इसलिए शाही स्नान को अत्यंत शुभ माना जाता है.
डिस्क्लेमर
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.