नागा साधुओं का शव क्यों नहीं जलाया जाता, अनोखी है अंतिम संस्कार की परंपरा
Naga Sadhu Life: इस समय प्रयागराज कुंभ में नागा साधुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर नागा साधुओं का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?
नागा साधुओं का जीवन
नागा साधुओं का जीवन बहुत ही कठिन होता है. कहते हैं कि नागा साधुओं के पास रहस्यमयी ताकतें होती हैं, जिन्हें वो कठोर तपस्या करके हासिल करते हैं. किसी भी इंसान को नागा साधु बनने के लिए 12 साल का लंबा समय लगता है. नागा साधु बनने के बाद वो गांव या शहर की भीड़भाड़ भरी जिंदगी को त्याग कर पहाड़ों पर जंगलों में चले जाते हैं. उनका ठिकाना ऐसी जगह होता है, जहां कोई भी आता जाता न हो. उनका अंतिम संस्कार भी अलग ही होता है.
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार
हिंदू धर्म में आमतौर पर अग्नि से ही अंतिम संस्कार होता है. हिंदू धर्म में किसी भी इंसान की मृत्यु के बाद उसे मृत शरीर को जलाने की परंपरा है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
नहीं जलाया जाता शव
आपको जानकर हैरानी होगी कि नागा साधुओं की मृत्यु के बाद उनके शरीर को जलाया नहीं जाता है. सवाल उठता है कि जब नागा साधु भी हिंदू धर्म का पालन करते हैं तो उनके शरीर को जलाया क्यों नहीं जाता है. आइए जानते हैं कि उनका अंतिम संस्कार कैसे होता है...
जंगलों या पहाड़ों पर ही बिताते जीवन
नागा साधु अपना सारा जीवन जंगलों या पहाड़ों पर ही बिताते हैं. उनकी मृत्यु के बाद उन्हें भू-समाधि देकर उनका अंतिम संस्कार किया जाता है. हालांकि नागा साधुओं को पहले जल समाधि दी जाती थी, लेकिन वर्तमान में नदियों का जल प्रदूषित होने के कारण अब उन्हें भू समाधि दी जाती है. नागा साधुओं को सिद्ध योग की मुद्रा में बैठाकर भू-समाधि दी जाती है।
अंतिम संस्कार की विधि होती है अलग?
नागा साधुओं का अंतिम संस्कार सामान्य हिंदुओं की तरह अग्नि संस्कार करके नहीं किया जाता है. उनके अंतिम संस्कार की विधि काफी अलग और विशेष होती है. आइए जानते हैं विधि
अंतिम संस्कार की विधि
ऐसी मान्यता है कि कि नागा साधुओं का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है बल्कि मरने के बाद उनको भू-समाधि दी जाती है. जिसकी प्रक्रिया बिल्कुल अलग है.
ऐसी दी जाती है भू-समाधि
भू-समाधि में नागा साधु को सिद्धासन की मुद्रा में बैठाकर जमीन में दफना दिया जाता है. नागा साधु को स्नान कराकर साफ कपड़े पहनाए जाते हैं और सिद्धासन की मुद्रा में बैठाया जाता है. इस दौरान मंत्रों का जाप करते हुए साधु को एक गड्ढे में बैठाकर धीरे-धीरे मिट्टी से ढक दिया जाता है.
ऐसे होता है अंतिम संस्कार
मान्यता है कि, भू-समाधि से साधु की आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है और उसे फिर से जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती है. नागा साधु प्रकृति से गहरा लगाव रखते हैं
आत्मा को मिलता है मोक्ष
नागा साधु योग और ध्यान में माहिर होते हैं. भू-समाधि के समय वे समाधि की स्थिति में होते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है. नागा साधु योग और ध्यान में होते हैं माहिर
अग्नि संस्कार से आत्मा को मुक्ति नहीं
माना जाता है कि अग्नि संस्कार से आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. वे प्रकृति का सम्मान करते हैं और मानते हैं कि अग्नि संस्कार से प्रकृति को नुकसान पहुंचता है.
अग्नि से ही अंतिम संस्कार
हिंदू धर्म में आमतौर पर अग्नि से ही अंतिम संस्कार होता है. पारसी धर्म में पेड़ पर शव को टांग दिया जाता है जिससे पशु-पक्षी उसे खाकर तृप्त हो जाएं. मुस्लिम धर्म में शव को जमीन में दफन करके अंतिम संस्कार किया जाता है. नागा साधुओं को भी भू-समाधि देकर ही अंतिम संस्कार किया जाता है.
डिस्क्लेमर
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.