Mahakumbh 2025: महाकुम्भ 2025 में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु ऐतिहासिक महत्व के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति को स्मृति चिह्न के रूप में अपने साथ ले जा सकेंगे. प्रयागराज के किले में स्थित यह स्तंभ इतिहास के तीन कालखंडों का गवाह है. संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्र के अनुसार, इस स्तंभ पर अंकित प्रयाग प्रशस्ति न केवल सम्राट अशोक के योगदान का प्रमाण है, बल्कि इसमें सम्राट समुद्रगुप्त की विजय गाथा भी दर्ज है.


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इतिहास की झलक
अशोक स्तंभ का ऐतिहासिक महत्व इसे अद्वितीय बनाता है. इस स्तंभ पर अंकित अभिलेख में सम्राट अशोक की पत्नी कारुवाकी द्वारा कौशांबी में बौद्धों को आम के बाग दान करने का उल्लेख है. इसके अलावा, सम्राट समुद्रगुप्त की कीर्ति गाथा, जिसे उनके मंत्री हरिषेण ने चम्पू शैली में लिखा था.


सम्राट समुद्रगुप्त: 100 युद्धों में अजेय योद्धा
सम्राट समुद्रगुप्त को अखंड भारत का स्वप्नद्रष्टा माना जाता है. प्रयाग प्रशस्ति में उनके द्वारा जीते गए 100 युद्धों का वर्णन मिलता है. उन्हें भारतीय इतिहास में एकमात्र ऐसा सम्राट कहा जाता है जिसे किसी भी युद्ध में पराजय नहीं मिली. उनकी विजयगाथा भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है.


संग्रहालय की तैयारियां
डबल इंजन की सरकार के सहयोग से प्रयागराज के इलाहाबाद संग्रहालय में अशोक स्तंभ की प्रतिकृति तैयार की जा रही है. यह श्रद्धालुओं को न केवल ऐतिहासिक धरोहर से जोड़ने का प्रयास है, बल्कि महाकुम्भ 2025 को एक सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में स्थापित करने का प्रयास भी है. 


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