पूर्ण , अर्ध और महाकुंभ में क्या होता है अंतर, जानें यहां
Kumbh Mela 2025: प्रयाग और हरिद्वार के मेले में लगभग 6 साल का अंतर है, और दोनों में महा और अर्ध कुंभ मेला होता है. नासिक और उज्जैन में कुंभ मेले एक ही साल या एक साल के अंतराल पर आयोजित होते हैं. अमूमन प्रयागराज कुंभ मेले के लगभग 3 साल बाद ऐसा होता है. कुंभ के अलावा देशभर में माघ मेला, मकर मेला या ऐसे दूसरे स्नान पर्व आयोजित होते हैं.
Kumbh Mela 2025: अगले साल की शुरुआत में आयोजित होने जा रहे कुंभ मेले को लेकर इस समय प्रयागराज में तैयारियां बड़े जोरो-शोरो से चल रही हैं. कुंभ मेले के मौके पर देश विदेश से न जाने कितने भक्त, श्रद्धालु और साधु संत यहां पहुंचेंगे. कुंभ मेले को लेकर मान्यता है कि ये हर 12 वर्ष में आयोजित किया जाता है. बृहस्पति ग्रह द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा पूरी कर लेने पर कुंभ के आयोजन की प्रथा रही है. ये कुंभ मुख्य रूप से प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किए जाते हैं.
इस अवसर पर श्रद्धालु नदी में डुबकी लगाकर ईश्वर से मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. विद्वानों का मत है कि कुंभ मेले पर स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है. शास्त्र बताते हैं कि जगत गुरु शंकराचार्य जी द्वारा कुंभ मेले की शुरुआत करवाई गई थी. वैसे तो हर 12 साल में कुंभ आयोजित होता है लेकिन 6 साल की अवधि में भी कुंभ आयोजित होते हैं.
कुंभ मेले को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांटा गया है-
पूर्ण कुंभ मेला- कभी-कभी इसे सिर्फ़ कुंभ या पूर्ण कुंभ भी कहा जाता है. यह हर 12 साल में एक निश्चित स्थान पर आयोजित होता है.
अर्ध कुंभ मेला - प्रयागराज और हरिद्वार में दो पूर्ण कुंभ मेलों के बीच लगभग हर 6 साल में अर्ध कुंभ मेला आयोजित होता है.
महाकुंभ- यह हर 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद होता है, यानी हर 144 साल बाद.
इस बार की बात की जाए तो कुंभ मेला प्रयागराज में संगम तट पर 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि तक चलेगा. मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा, महाशिवरात्रि को विशेष स्नान पर्व होगा.