महामारी के दौरान मजबूरी का दर्द बयां करती तस्वीर, घर वापसी की आस में जान से समझौता
कोरोना की महामारी के दौरान घर पहुंचने के लिए लोग अपनी जान को भी जोखिम में डालने से परहेज नहीं कर रहे हैं. ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली झांसी में, जहां मुंबई से आ रहे प्रवासी मजदूर बस के अंदर तो ठसाठस भरे ही हैं, इसके साथ ही कईं मजदूर बस की छत पर भी बैठे नज़र आए.
अब्दुल सत्तार/झांसी: कोरोना वायरस से मची तबाही के दौरान प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी है. कुछ मजदूरों को तो सरकार वापस ला रही है, लेकिन कुछ मजदूर ऐसे भी हैं जो अब भी जान जोखिम में डालकर सफर करते हुए अपने घर पहुंच रहे हैं. झांसी में प्रवासी मजदूर रात में ऐसे ही सफर पर निकलते हैं. ये मजदूर बसों में खचाखच भरने के बाद उसकी छत पर भी बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं.
रात में निकलते हैं मौत के सफर पर
यूपी में रहने वाले अधिकतर मजदूर दूसरे राज्यों में अपनी आजीविका की तलाश में जाते हैं. अब महामारी के डर और रोजी-रोटी के संकट को देखते हुए इन्हे सिर्फ़ घर की ही राह नज़र आ रही है. मुंबई से आ रहे प्रवासी मजदूर भी अपने घर जाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. ये मजदूर बसों में भरकर अपने घर जाने की कवायद में लगे हैं. बस के अंदर मजदूर ठसाठस भरे रहते हैं, साथ ही बस की छत को भी सामान रखने के बजाय मजदूरों के बैठने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. झांसी से पूरी रात मजदूरों से खचाखच भरी बसें निकलने का सिलसिला जारी रहता है.
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प्रशासन के पास नहीं है कोई योजना
पुलिस का दावा है कि पैदल चलने वाले मजदूरों पर नज़र बनाये रखने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है. मजिस्ट्रेट के साथ-साथ पुलिस और एंबुलेंस मोबाइल टीम पूरे ज़िले में घूम रही है और पैदल चल रहे मजदूरों को शेल्टर होम पहुंचाने का काम किया जा रहा है. प्रशासन के दावों के बीच मजदूरों की मजबूरी और लाचारी की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं.
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सरकार घर-वापसी की कोशिश में जुटी
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मजदूरों की घर वापसी की कोशिशें जारी हैं. सिर्फ़ मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 10 हज़ार सरकारी बसें लगाई गई हैं. पहले चरण में 6 लाख 50 हजार प्रवासी मजदूरों को मेडिकल परीक्षण के बाद उनके घर पहुंचाया जा चुका है. जबकि दूसरे चरण में 1 लाख से ज्यादा निराश्रित श्रमिकों और कामगारों की घर वापसी हो चुकी है