बहराइच: बहराइच के महराजगंज में मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा बहुत ज्यादा भड़त गई जिसके बाद ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी किए गए. अब इस नोटिस को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर आज यानी सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई होनी थी लेकिन अब सुनवाई टल गई है. फैसला अब 18 नवंबर को सुनाया जाएगा. एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने बीते बुधवार को सुनवाई की थी. इस दौरान पीठ ने राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब दाखिल किए जाने का मौखिक रूप से आदेश दिया था. राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता हैं शैलेंद्र कुमार सिंह जिन्होंने जानकारी दी है कि सोमवार को जवाब पेश किया जाना था.


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कोर्ट के सरकार से सवाल 
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए आदेश जारी कर दिया और कहा था कि राज्य सरकार ऐसी कोई कार्रवाई फिलहाल न करे जो कानून सम्मत न हो. बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा था कि-
नोटिस जारी करने से पहले क्या वहां किसी तरह का सर्वे किया गया था या नहीं? 
कोर्ट ने पूछा था कि जिन्हें नोटिस जारी हुआ क्या वे लोग निर्मित परिसरों के स्वामी हैं या फिर नहीं? 
कोर्ट ने सवाल किया कि नोटिस जारीकर्ता प्राधिकारी इन्हें जारी करने के लिए क्या सक्षम था? 
महराजगंज बाजार की सड़क पर स्थिति जिन निर्माणों को गिराने के लिए नोटिस जारी किया गया है क्या पूरा निर्माण या उसका कुछ भाग अवैध निर्माण था या फिर नहीं?


महराजगंज में रामगोपाल मिश्रा की हत्या 
याचिका में बीते 17 अक्तूबर को महराजगंज बाजार के कथित अतिक्रमणकारियों को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती दी गई और रद्द करने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है. 13 अक्तूबर को हिंसा के बाद महराजगंज में रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद सनसनी फैल गई. कथित रूप से अतिक्रमणकारियों के निर्माणों को इसी घटना के बाद ढहाने का नोटिस जारी किया गया.


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