Lakhimpur Kheri News: लखीमपुर खीरी के छोटे से गांव गौरिया के रहने वाले 28 वर्षीय मुनीर खान ने अपनी मेहनत और लगन से वह कर दिखाया, जो कई लोगों के लिए सपना बनकर रह जाता है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुनीर ने एक खास चश्मा तैयार किया है, जो नेत्रहीन लोगों को दुनिया देखने का अहसास कराता है. 


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AI तकनीक पर आधारित अनोखा चश्मा
यह चश्मा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक पर आधारित है. यह 50 मीटर के दायरे में हो रही गतिविधियों का विश्लेषण कर नेत्रहीन व्यक्ति को आवाज के जरिए सतर्क करता है। इससे नेत्रहीन लोग भी आसपास की गतिविधियों को समझ सकते हैं और अपनी दिनचर्या को सहज बना सकते हैं. 


अमेरिका में हुआ सफल ट्रायल 
मुनीर के इस चश्मे का ट्रायल अमेरिका में किया गया, जहां 800 लोगों पर इसके नतीजे 87% सफल रहे. यह डिवाइस अभी अपने शुरुआती चरण में है और जल्द ही भारत में इसके ट्रायल शुरू किए जाएंगे. मशीन लर्निंग तकनीक की मदद से इसे भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाएगा.


आईआईटी बॉम्बे में होगा प्रदर्शन
मुनीर इस खास चश्मे को 16 और 17 दिसंबर 2024 को आईआईटी बॉम्बे के टेकफेस्ट में प्रदर्शित करेंगे. इस मौके पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा भी मौजूद रहेंगे. इस डिवाइस की कीमत 8000 से 15000 रुपए के बीच रखने की योजना है, ताकि यह आम लोगों की पहुंच में आ सके.


संघर्षों से सफलता तक का सफर
मुनीर का जीवन संघर्षों से भरा रहा. एक साल की उम्र में पिता का साया उठने के बाद परिवार ने उनकी पढ़ाई को प्राथमिकता दी. गांव में प्रारंभिक पढ़ाई के बाद उन्होंने भीमताल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. गूगल जैसी बड़ी कंपनी में नौकरी करने के बाद उन्होंने रिसर्च और इनोवेशन के क्षेत्र में कदम रखा


सम्मान और प्रेरणा का स्रोत
मुनीर को 2013 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 'यंग साइंटिस्ट अवार्ड' से सम्मानित किया गया. उनके आदर्श डॉ. कलाम, जेसी बोस और स्टीफन हॉकिंग हैं.आज उनका काम न केवल गांव गौरिया बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रहा है.


नेत्रहीन लोगों के लिए नई उम्मीद
मुनीर खान का यह इनोवेशन उन लाखों नेत्रहीन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने का सपना देखते हैं.


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