कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर और उन्नाव में तथा इनके आसपास चमड़े की फैक्ट्रियों में सात महीने से जारी बंदी को खत्म करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें इस शर्त पर दोबारा खोलने का आदेश देने का निर्णय लिया है कि वे राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करेंगी. सरकार ने कानपुर के जाजमऊ में अलग से 20 एमएलडी अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चमड़े की फैक्ट्रियों का अपशिष्ट सीधे गंगा नदी में नहीं गिरेगा.


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कानपुर के जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत के अनुसार, प्रदेश सरकार ने चमड़े की फैक्ट्रियों के अपशिष्ट को सीधे गंगा नदी में गिरने से रोकने के लिए 617 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि कुल स्वीकृत राशि में से 480 करोड़ रुपये का उपयोग एक 20 एमएलडी प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने में, वहीं शेष राशि का उपयोग संयंत्र के प्रबंधन में किया जाएगा.


गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने पिछले साल नवंबर में गंगा नदी के किनारों पर स्थित चमड़े की लगभग 260 फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया था, ताकि कुंभ मेले के लिए गंगा नदी में जल की स्वच्छता सुनिश्चित की जा सके. यह प्रतिबंध इसी साल कुंभ मेला के समापन के बाद मार्च में हटना था, लेकिन बाद में भी प्रतिबंध जारी रहने से चमड़े की फैक्ट्रियों के मालिकों और मजदूरों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.


चमड़े की फैक्ट्रियों को फिर से खोलने की अनुमति के राज्य सरकार के निर्णय का कानपुर चमड़ा उद्योग ने स्वागत किया है, लेकिन प्रदूषण रोकने के लिए प्रभावी सुधार निदान संयंत्र (ईटीपी) को स्थापित करने के लिए तेजी से काम करने का भी आग्रह किया है.