दिल्ली: उन्नाव दुष्कर्म केस (Unnao Rape Case) में दोषी ठहराए जाने के बाद आज दोपहर 2 बजे विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को उम्रकैद की सुजा सुना दी गई है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दोषी कुलदीप सेंगर पर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया है.


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इससे पहले तीस हजारी कोर्ट में कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ सजा पर बहस हुई. सुनवाई के दौरान पीड़िता के वकील की ओर से सेंगर को उम्रकैद की सजा दिए जाने की मांग की गई, जबकि कुलदीप सिंह सेंगर के वकील से इस पर विरोध जताया.
सुनवाई के दौरान जज ने पीड़िता के वकील धर्मेश मिश्रा को बार बार टोकने पर फटकार लगाई. जज ने कहा आप बदतमीजी न करें. जज ने धर्मेश मिश्रा को कहा अब बहुत हो गया. हमने आपको सुन लिया. जज ने कहा कि अगर आपको मुआवजे पर बहस करनी है तो आप कर सकते हैं.


केस की सुनवाई की शुरुआत के दौरान जज ने पूछा कि कुलदीप सिंह सेंगर कहां है? इस पर जज ने कहा कि आरोपी को कोर्ट में बुलाया जाए, जिसके बाद कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट में पेश किया गया.


सेंगर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर लोन चल है. उन्‍होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए लोन लिया था. पीड़िता के वकील की तरफ से कहा गया कि कुलदीप विधायक हैं और उन्होंने इस मामले में अपने पद का दुरुपयोग किया. पीड़िता के वकील ने कहा कि कुलदीप सिंह को अधिकतम सजा देनी चाहिए. पीड़ित ने कहा कि इस मामले में उम्रकैद की सजा देनी चाहिए. इस पर जज ने कहा कि उम्रकैद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है, जिसमें मारूराम बनाम केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उम्रकैद का मतलब उम्रकैद है.


हालांकि, कोर्ट ने कहा कि हम रेमिशन के हिस्से में नहीं जाएंगे. कुलदीप सिंह सेंगर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के चार फैसलों का जिक्र किया गया. सेंगर के वकील ने कहा कि जब अपराध हुआ था उस समय अगर कोई एक्ट नहीं था और बाद में कोई एक्ट बना तो उस केस में नए एक्ट के तहत सजा नहीं हो सकती.


दरअसल, पिछली सुनवाई में सीबीआई ने कहा था कि जिन धाराओं के तहत कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया है, उसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. ऐसे सेंगर को कड़ी से कड़ी सजा दी जाने की जरूरत है, जिससे कि समाज में कड़ा संदेश जा सके.


वहीं, कुलदीप सिंह सेंगर के वकील की दलील थी कि कुलदीप सिंह सेंगर को इन धाराओं में जो न्यूनतम सजा है वह दी जाए, क्योंकि कुलदीप सिंह सेंगर का जेल में आचरण काफी अच्छा रहा है. इतना ही नहीं पिछले करीबन 31 सालों से वह सार्वजनिक जीवन में है और कभी उसके ऊपर किसी तरह का आरोप नहीं लगा. यहां तक कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए कुलदीप सिंह सेंगर ने कई विकास के काम करवाएं और अपने इलाके का निरंतर विकास किया है. पीड़िता के वकील ने पीड़िता के लिए उचित मुआवजा देने की मांग भी की थी, जिसका सेंगर के वकील ने विरोध किया था. जिसके बाद अदालत ने कहा था कि मामले में कितना उचित मुआवजा हो सकता है यह दोनों पक्षों की आर्थिक हालात को देखते हुए तय किया जा सकता है.


बता दें कि कुलदीप सिंह सेंगर को रेप (IPC की धारा 376) और पोस्को एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मौजूद केस में वो सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं. जिनसे जूझकर लड़कियां और महिलाएं अपना जीवन डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं. कोर्ट ने कहा कि हमारे विचार से इस जांच मैं पुरुषवादी सोच हावी रही है और इसी वजह से लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा और शोषण में जांच के दौरान संवेदनशीलता और मानवीय नजरिये का अभाव दिखता है.