UP Lok Sabha Chunav 2024: बीजेपी ने आगरा से एसपी सिंह बघेल पर जताया भरोसा, पढ़ें कैसा रहा इस सीट का इतिहास
Agra Lok Sabha Chunav 2024: 2024 में चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा इस सीट को गंवाने के मूड में नहीं है. आगरा लोकसभा सीट से सत्यपाल सिंह बघेल और फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर को दोबारा मौका दिया गया है.
Agra Lok Sabha Chunav 2024: आगरा (Agra) लोकसभा सीट से एक बार फिर बीजेपी ने एस पी सिंह बघेल (SP Singh Bahgel) को मौका दिया है. एसपी सिंह बघेल केंद्र में मंत्री भी हैं. भारतीय जनता पार्टी ने आज अपने लोकसभा उम्मीदवारों का ऐलान किया है जिसमें यूपी की 51 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई. अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित आगरा लोकसभा सीट से सत्यपाल सिंह बघेल और फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर को दोबारा मौका दिया है. सपा ने सुरेश चंद कदम को प्रत्याशी बनाया है.
लोकसभा चुनाव 2024 बेहद करीब हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है. वहीं, विपक्षी दल भी आगरा को भाजपा से छीनने के लिए सभी दल रणनीति बनाने में जुट गए हैं. आइए जानते हैं चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की आगरा सीट के इतिहास और पहले के चुनावी रिजल्ट के बारे में.
1952 में आगरा में पहली बार लोकसभा चुनाव
ताजमहल और पेठे के लिए मशहूर आगरा में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुआ था. तब कांग्रेस ने चुनाव जीता था. लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीती कांग्रेस को 1977 में बड़ा झटका लगा. यह वो साल था जब कांग्रेस के हाथ से आगरा की सीट खिसक गई थी. 25 साल तक आगरा लोकसभा सीट पर राज करने वाली कांग्रेस 1977 का चुनाव हार गई. कांग्रेस ने 1980 में फिर वापसी की. 1989 में आगरा सीट छिनी.
आगरा लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा राज बीजेपी का रहा. 1991 में भाजपा ने पहली बार चुनाव जीता. इसके बाद ये सीट समाजवादी पार्टी के पाले में चली गई. सपा ने भी यहां दो बार राज किया. 2009 के चुनाव में भाजपा ने आगरा लोकसभा सीट पर जिस तरह से कब्जा जमाया वह अब तक बरकरार है. सपा और कांग्रेस दोनों की दावेदारी लोकसभा सीट हथियाने की है.
नहीं खुला बसपा का खाता
हैरान करने वाली बात ये है कि इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया. हालांकि कई चुनाव में बसपा दूसरे नंबर की पार्टी जरूर बनकर रही है.
आगरा की 5 विधानसभा सीटों का हाल
आगरा में 5 विधानसभा सीटें छावनी, आगरा उत्तर, आगरा दक्षिण, एत्मादपुर और जलेसर शामिल है. पांच विधानसभा पर करीब 1904698 वोटर हैं. इसमें 864520 महिला और 1040090 वोटर पुरुष हैं. छावनी की बात करें तो यहां वर्तमान में ये सीट भाजपा के कब्जे में है. यहां से जीएस धर्मेश विधायक हैं. इन्होंने सपा के कुंवर चंद को हराया था. आगरा उत्तर विधानसभा सीट से बीजेपी के पुरुषोत्तम खंडेलवाल विधायक हैं. आगरा दक्षिण विधानसभा सीट से वर्तमान में बीजेपी के योगेंद्र उपाध्याय विधायक हैं. एत्मादपुर विधानसभा सीट से भाजपा के धर्मपाल सिंह विधायक हैं. जलेसर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से भाजपा के संजीव कुमार दिवाकर विधायक हैं.
आजादी के बाद से किसका कब्जा
1952 से लेकर 1971 तक आगरा सीट कांग्रेस के पास, 1977 में इस सीट से भारतीय लोकदल के शंभूनाथ चतुर्वेदी ने चुनाव जीता, 1980, 1984 में कांग्रेस ,1989 में जनता दल,1991 से लेकर 1998 तक इस सीट पर भाजपा, 1999 सपा के राज बब्बर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, 2004 का चुनाव भी जीता, 2009 बीजेपी, 2009 से लेकर 2014 तक भाजपा के राम शंकर कठेरिया सांसद चुने गए. 2019 में भी ये सीट भाजपा ने जीती.
आगरा (सु.) लोकसभा आगरा (सु.) लोकसभा के अंतर्गत आगरा जिले की चार विधानसभा – एतमादपुर, आगरा कैंट (सु.), आगरा दक्षिण एवं आगरा उत्तर और एटा जिले की एक विधानसभा – जलेसर (सु.) आती है. जहां के सांसद भाजपा के डॉ. राम शंकर कठेरिया है. आगरा (सु.) लोकसभा में 1991, 1996, 1998, 2009 एवं 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. आगरा (सु.) लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांचों विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. आगामी चुनाव में आगरा (सु.) लोकसभा में भाजपा एवं बसपा-सपा गठबंधन के मध्य कांटे का मुकाबला होने की सम्भावना है.
जातीय समीकरण
आगरा लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र में है. ये हैं आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, छावनी, एत्मादपुर, जलेसर. 1952 के लोकसभा चुनाव में आगरा दो लोकसभा क्षेत्र में बंटा हुआ था. आगरा पूर्वी और आगरा पश्चिम लोकसभा क्षेत्र थे. आगरा पूर्वी से रघुवीर सिंह पहली बार सांसद चुने गए. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी हृदय नंद कुंजरू को 22,512 वोटों से हराया था.वहीं, आगरा पश्चिमी से सेठ अचल सिंह चुनाव जीते थे. उन्होंने भी निर्दलीय प्रत्याशी कृष्ण दत्त पालीवाल को 56,299 वोट से हराया. तब पश्चिमी सीट पर चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। पूर्वी सीट से भी पांच प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी.
आगरा को दलित और मुस्लिम वोटरों का गढ़ माना जाता है. दलित वोटर होने के बाद भी यहां से बसपा को कभी फायदा नहीं मिला. आगरा में करीब 3.15 लाख वोटर वैश्य है, अनुसूचित जाति के करीब दो लाख 80 हजार वोटर हैं. मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो यहां करीब दो लाख 70 हजार है. वहीं एक लाख 30 हजार बघेल वोटरों की संख्या है. वर्तमान में इस सीट से एसपी सिंह बघेल सांसद हैं.
2014 का नतीजा
प्रत्याशी पार्टी वोट
रामशंकर कठेरिया BJP 583716
नारायण सिंह सुमन BSP 283453
महाराज सिंह धनगर SP 134708
उपेंद्र सिंह Congress 34834
जनसंख्या
हिंदू 80.69 %
मुस्लिम 15.37 %
जैन 1.04 %
सिख 0.62 %
ईसाई 0.19 %
बौद्ध 0.19 प्रतिशत( 2011 की जनगणना के अनुसार )
आगरा का इतिहास
आगरा ताजमहल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. आगरा का सबसे पहले जिक्र महव्योचित काल में मिलता है, जब आगरा को अग्रावना कहते थे. आगरा का इतिहास मुगल वंश से जुड़ा हुआ है, पर यहां का इतिहास बनाने में कई और शासकों का योगदान है. कुल 4027 वर्ग किलोमीटर में फैले इस शहर की स्थापना सिकंदर लोधी ने की थी.
मुगल वंश का संस्थापक बाबर आगरा में कुछ समय रहा. अकबर ने यहां आगरे का किला और आगरा के पास फतेहपुर सीकरी भी बनवाया था. इतिहास के जानकारों की मानें तो फतेहपुर सीकरी 15 सालों तक अकबर की राजधानी रही. इसके बाद शाहजहां ने गद्दी संभाली और आगरा की काया पलट कर दी. इस दौरान मुगल शिल्पकारी का अद्भुत नमूना ताजमहल बनवा के पेश किया. मुगल काल के बाद यहां जाट, मराठा और अंग्रेजों ने भी कई वर्षों तक राज किया.