Amethi Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने शनिवार (2 मार्च) को 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी. बीजेपी कैंडिडेट लिस्ट में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई. इसमें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की फिर से अमेठी से टिकट दिया गया है. बीजेपी के इस फैसले को 'गांधी मुक्त' अमेठी के संकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. 51 में से 5 महिला उम्मीदवारों को भी बीजेपी की पहली लिस्ट में शामिल किया गया है. इनमें मथुरा लोकसभा सीट से हेमा मालिनी, धौरहरा सीट से रेखा वर्मा, अमेठी से स्मृति ईरानी, फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति और लालगंज से नीलम सोनकर प्रत्याशी हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी और रायबरेली सीट की काफी चर्चा है. खास तौर पर अमेठी सीट जहां पिछली बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने गढ़ में चुनाव हार गए थे. इस बार अमेठी में राहुल गांधी की दावेदारी को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन हम इस सीट के 57 पुराने इतिहास पर एक नजर डालें तो ये सीट गांधी-नेहरु परिवार के लिए खास रही है. 2019 में राहुल गांधी को चुनाव हराकर अमेठी से लोकसभा चुनाव जीतने वाली सांसद स्मृति ईरानी ने जिले में अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है. जिले में अपना घर बनवाकर उन्होंने बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की है. लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट की चर्चा हमेशा होती है. चुनावी सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में जानते हैं यहां का पूरा सियासी गणित.


UP Lok Sabha Chunav 2024: बदायूं में बीजेपी बचा पाएगी सीट?, सपा के MY फैक्टर को 5 बार के सांसद सलीम शेरवानी ने दिया झटका


अमेठी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक है. ऐतिहासिक तौर पर यह सीट गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रही है. यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी. यहां पहले चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी को जीते थे. वाजपेयी ने भारतीय जनसंघ के जी. प्रसाद को हराया था. 1967 में सीट का नाम अमेठी पड़ा.  1967 के बाद 1972 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने जीते. वर्तमान में स्मृति ईरानी यहां से सांसद हैं और वह लगातार क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं. 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को भाजपा की स्मृति इरानी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा.


25 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले मेरठ में बीजेपी क्या लग पाएगी हैट्रिक, सपा-गठबंधन से बढ़ी चुनौती


अमेठी लोकसभा सीट 2019 परिणाम-Amethi Lok Sabha Election Result 2019



 


अमेठी लोकसभा सीट 2014 परिणाम-Amethi Lok Sabha Election Result 2014


अमेठी लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास


बता दें कि 1977 में संजय गांधी के यहां से चुनाव लड़ने के बाद यह गांधी नेहरू परिवार के राजनैतिक वारिसों के 'पॉलिटिकल डेब्यू ' वाली सीट बन गई और देश दुनिया में इसकी पहचान गांधी नेहरू परिवार के गढ़ के रूप में होने लगी. हालांकि पहला चुनाव संजय गांधी हारे लेकिन इसके बाद संजय गांधी, राजीव गांधी , सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी अलग-अलग चुनाव में जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे. संजय गांधी की असामयिक मृत्यु हो जाने के बाद उनके भाई राजीव गांधी का यहां से राजनैतिक पदार्पण हुआ. लेकिन 2014 से शुरू हुई मोदी लहर के बाद इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर होती गई. इसके बाद 1980 में कांग्रेस  से संजय गांधी यहां से जीत गए. उन्होंने जनता पार्टी की तरफ से उतरे रवींद्र प्रताप सिंह को मतों के बड़े अंतर से हराया. 1981 के उपचुनाव में राजीव के सामने शरद यादव ने ताल ठोंकी. लेकिन राजीव ने 81.18 प्रतिशत मत प्राप्त करते हुए बड़ी जीत दर्ज की.


वर्तमान में लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से तीन (जगदीशपुर, तिलोई और सलोन) पर भाजपा का कब्जा है जबकि दो (गौरीगंज, अमेठी) सीटें सपा के पास है.  कांग्रेस 2017 से ही यहां कोई विधानसभा सीट नहीं जीत सकी है.


UP Lok Sabha Chunav 2024: मुरादाबाद लोकसभा सीट BJP के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न, जनसंघ के जमाने से लहराता रहा है भगवा


पारिवारिक लड़ाई बनी सियासी 
1984 के चुनाव में  राजीव के सामने संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी थी. लेकिन जनता ने राजीव पर भरोसा जताया और जिताकर लोकसभा पहुंचाया. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई.  तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राजीव को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई.  इसके बाद लोकसभा चुनावों की घोषणा हो गई। राजीव फिर अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए गए तो मेनका ने राजीव के मुकाबले संजय विचार मंच के उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा. नतीजे आए तो मेनका के सामने राजीव को प्रचंड जीत मिली.


गांधी बनाम गांधी
1989 के चुनाव में यहां फिर गांधी बनाम गांधी का मुकाबला देखने को मिला. राजीव गांधी के सामने महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी थे. लेकिन इस चुनाव में भी जनता ने राजीव का साथ दिया. इस चुनाव में बसपा से कांशीराम भी यहां से चुनाव लड़े और उन्हें अपनी जमानत गंवानी पड़ी.


राजीव के सामने भाजपा की चुनौती 
1991 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर राजीव गांधी के सामने भाजपा ने रवींद्र प्रताप को अपना उम्मीदवार बनाया. नतीजे आए तो एक बार फिर राजीव गांधी को जीत मिली. राजीव 1991 के चुनाव में भी यहां से जीते. लेकिन उनकी मृत्यु हो जाने से उप चुनाव हुआ. जिसमें उनके साथी कैप्टन सतीश शर्मा ने जीत दर्ज की. कैप्टन शर्मा 1996 में भी यहां से सांसद चुने गए. 1998 में उन्हें भाजपा के संजय सिंह के सामने शिकस्त खानी पड़ी. यह दूसरा मौका था जब इस सीट से कांग्रेस को हार मिली. 


चुनावी रण में यहीं उतरीं सोनिया 
1998 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. इस बार भाजपा की तरफ से उतरे संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हराया. पति की हत्या के करीब छह साल बाद सोनिया गांधी का राजनीतिक आगाज हुआ. 1999 में सोनिया गांधी ने यहां से राजनैतिक पदार्पण किया. उनके सामने बीजेपी से संजय सिंह थे. एकतरफा लड़ाई में सोनिया गांधी ने 3,00012 वोटों से जीतीं. इसके बाद अगले चुनाव में वे रायबरेली चली गईं.


पिता की सियासी विरासत राहुल ने संभाली 
मां सोनिया के बाद बेटे राहुल गांधी ने भी राजनीति में रास्ता अपना लिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी यहीं से चुनावी राजनीति में कदम रखा. राहुल गांधी ने पहले ही चुनाव में शानदार जीत हासिल की। अमेठी में उन्होंने बसपा उम्मीदवार चंद्र प्रकाश मिश्रा को 2,90,853 वोटों के भारी अंतर से हरा दिया। इस बार भाजपा यहां तीसरे स्थान पर रही। 2009 के चुनावों में राहुल गांधी को दूसरी बार अमेठी से जीत मिली। इस बार उन्होंने बसपा के आशीष शुक्ला को  3,70,198 मतों से हरा दिया। भाजपा एक बार फिर यहां तीसरे स्थान पर रही।


जब अमेठी में पहली लड़ाई हार गईं स्मृति 
2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल को जीत मिली थी. बस सात सीटें ऐसी रहीं जहां भाजपा को जीत नहीं मिली थी. इन सात में से 2 सीटें कांग्रेस और 5 सीटें सपा ने जीती थीं.  इनमें अमेठी सीट भी शामिल थी. इस सीट पर राहुल गांधी ने भाजपा की तरफ से उम्मीदवार बनाई गईं स्मृति ईरानी को हराया था. 2004 के चुनाव में राहुल गांधी ने इस सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा. उन्होंने बसपा के चंद्र प्रकाश को बड़े अंतर से हराया.


2019 में स्मृति ने लिया हार का बदला 
2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी स्मृति नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल की गई थीं. स्मृति ने 2014 की हार का बदला 2019 के चुनाव में ले लिया. इस चुनाव में एक बार फिर स्मृति और राहुल आमने-सामने थे.  सीधे मुकाबले में स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को 55120 वोटों से हरा दिया.  स्मृति इरानी को 468514 वोट मिले। जबकि राहुल गांधी को 413394 वोट मिले. स्मृति इरानी के अमेठी से चुनाव जीतने के बाद से लगातार अमेठी में भाजपा मजबूत होती गई.


अमेठी का जातीय समीकरण
2019 के चुनाव के मुताबिक अमेठी लोकसभा में कुल वोटरों की संख्या 17 16102 थी. अनुमानित जातीय आंकड़ों की मानें तो इनमें से सर्वाधिक संख्या अनुसूचित जाति के मतदाताओं की है. दलित वोटर्स की संख्या लगभग 26 फीसदी, मुस्लिम मतदाता लगभग 20 प्रतिशत,  ब्राह्मण वोटर्स 18 प्रतिशत, क्षत्रिय  11 फीसदी  11 और यादव और मौर्य मिलाकर भी संख्या लगभग 16 फीसद होती है.  10 प्रतिशत के लगभग लोध और कुर्मी वोटर हैं.


कैराना में बीजेपी-आरएलडी गठबंधन की अग्निपरीक्षा, मुस्लिम वोटों का रुख पलट सकता है पासा


UP Hardoi Lok Sabha Chunav 2024: कांग्रेस का गढ़ रहा हरदोई कैसे बना बीजेपी का मजबूत किला, क्या मोदी लहर में दोबारा चल पाएगी साइकिल