Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024  की तारीखों के ऐलान में भले अभी वक्त बाकी हो लेकिन बीजेपी ने अपनी तैयारियों को शुरू कर दिया है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के जरिए उत्तर प्रदेश में भाजपा अब समाजवादी पार्टी को उसी गढ़ में घेरने की कवायद में जुटी है. यादव वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए  उनकी कई जिलों में सभाओं की प्लानिंग है. इसी क्रम में मोहन यादव मंगलवार को आजमगढ़ का दौरा करेंगे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मंगलवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पास स्थित एक स्कूल परिसर में आयोजित पांच लोकसभा क्षेत्रों की चुनाव संचालन समिति की बैठक को संबोधित करेंगे. यहां प्रत्येक जिले में 37 सदस्यीय समिति गठित की गई है. इसके बाद वह विधानसभा संयोजक, विधानसभा प्रभारी, जिलों के महामंत्री और विस्तारकों की बैठक को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही तीसरे चरण में पांच जिलों के विधायक, सांसद, राज्यसभा सांसद, विधान परिषद सदस्य, 2022 में चुनाव लड़े प्रत्याशी, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पंचायत एवं नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य शामिल होंगे.


भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए आजमगढ़ को कमजोर सीटों में शामिल किया है. आजमगढ़ क्लस्टर में शामिल 5 लोकसभा सीटों में यादव मतदाताओं की बड़ी संख्या हैं. एमपी के सीएम मोहन यादव के जरिये भाजपा संदेश देना चाहती है कि पार्टी में सामान्य यादव परिवार के व्यक्ति को मुख्यमंत्री का पद दिया गया है. पार्टी के दरवाजे यादव समाज के लिए खुले हैं. 


 


जयंत चौधरी के मामले में अखिलेश को ये 5 गलतियां भारी पड़ीं,चुनाव से पहले टूटी दोस्‍ती


बता दें कि बीजेपी ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को 20 क्लस्टर में बांटा है. आजमगढ़ क्लस्टर में आजमगढ़ लोकसभा सीट के अलावा, लालगंज, घोसी, सलेमपुर और बलिया लोकसभा सीट को शामिल किया गया है. आजमगढ़ का यह क्षेत्र यादव बहुलता के चलते सपा के लिहाज से प्रभावशाली माना जाता है. बीजपी की कोशिश इसी में सेंध लगाने की है. जिसके लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को मैदान में उतारा गया है. कहा जा रहा है कि मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव की आने वाले समय में आजमगढ़ के अलावा मैनपुरी, कन्नौज, फर्रुखाबाद और फिरोजाबाद में  सभाएं हो सकती हैं. इन क्षेत्रों में सपा का वोट माना जाता है. बीजेपी इनको अपने पाले में लाने की जुगत में जुट गई है. 


आजमगढ़ लोकसभा सीट का रिकॉर्ड देखें तो यहां से ज्यादातर मुस्लिम या यादव ही सांसद बनते रहे हैं. 2014 में यहां से मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव को जीत मिली थी. इससे पहले 2004 और 2008 उपचुनाव में अकबर अहमद डंपी,  रमाकांत यादव, चंद्रजीत यादव, रामकृष्ण यादव सांसद बन चुके हैं. 


यूपी में बीजेपी ने खेला पिछड़ा और महिला कार्ड, राज्यसभा टिकट से साधा जातीय समीकरण


बता दें कि बीते यूपी विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के 10 जिलों की 61 सीटों पर भाजपा को पिछले चुनाव के मुकाबले 12 सीटों का नुकसान हुआ था. बीजेपी को 10 जिलों में 29 सीटों पर विजय मिलीं, जबकि सपा ने पिछले प्रदर्शन को सुधारते हुए ढाई गुनी सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में सपा जिन 5 सीटों पर जीती थी, उसमें आजमगढ़ भी शामिल थी. हालांकि अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद बीजेपी के दिनेश लाल निरहुआ चुनाव जीतने में सफल रहे. बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव में इसी वजह से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.