Lok Sabha Result 2024: लोकसभा चुनाव रिजल्ट भी आ गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ भी ले ली है. यूपी में कैबिनेट की पहली बैठक भी हो गई है. बीजेपी करारी हाल के कारण उबल रही है और उसे आस्तीनों के सांपों की तलाश है जो चुनाव में हार का कारण बने. बीजेपी की स्पेशल टीम यूपी लोकसभा में बीजेपी की कम सीटों होने के कारणों का पता लगाएगी. अब तक 12 से अधिक प्रत्याशियों ने पार्टी हाईकमान को रिपोर्ट भेजी है.  ये रिपोर्टें भितरघात के आघात से रंगी हुई हैं.


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कारणों का पड़ताल करेगी बीजेपी की स्पेशल टीम
लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटे कम होने के कारणों की जमीनी तलाश शुरू हारी हुई लोकसभा सीटों से सांसद हारे प्रत्याशियों लोकसभा प्रभारी संयोजकों और जिला प्रभारी जिला अध्यक्षों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट कारणों समेत प्रदेश मुख्यालय को भेज दी है. प्राथमिक रिपोर्ट में उम्मीदवारों की एंटी इनकंबेंसी से लेकर हरी सीटों पर भीतरघात और गड़बड़ी की आशंका जताई गई है. इस रिपोर्ट में विपक्ष के हर दाव के बारे में भी जानकारी दी गई है. इसको लेकर इसी हफ्ते प्रदेश मुख्यालय पर समीक्षा बैठक भी की जाएगी. इसके बाद अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र में भीतरघात और हार के कारणों की पड़ताल के लिए स्पेशल टीम भेजी जाएगी.


स्पेशल टीम में होंगे MLAs, MPs, पदाधिकारी


BJP ने इस लोकसभा चुनाव में यूपी में 33 सीटें जीती हैं.  गठबंधन के साथ बीजेपी की 36 सीटें हैं.  पार्टी का वोट शेयर भी 8.50 फीसदी से कम हो गया है. 2019 में बीजेपी के पास गठबंधन को मिलाकर 64 सीटें थीं.  इसके बाद अब पार्टी ने फैसला किया है कि उन लोकसभा क्षेत्रों में स्पेशल टीम भेजकर प्राथमिक रिपोर्ट में जताए गए कारणों की असल पड़ताल करेगी, जहां बीजेपी हारी है या फिर कम वोट मिले हैं. इस स्पेशल टीम में राज्यसभा सांसद, MLA, MLC और पार्टी के प्रदेश और क्षेत्र पदाधिकारी भी शामिल होंगे.


हर लोकसभा क्षेत्र में रुकेगी टीम
इन सभी को उन लोकसभा इलाकों में भेजा जाएगा, जहां के वे निवासी नहीं हैं.  यह टीम 5 से 6 दिन हर लोकसभा क्षेत्र में रुकेगी. वहां स्थानीय पदाधिकारियों के साथ प्रबुद्ध वर्ग और आम लोगों से बातचीत करके रिपोर्ट तैयार करेगी. एक सप्ताह में यह टीम अपनी फाइनल रिपोर्ट  बीजेपी प्रदेश मुख्यालय को भेजेगी.


लिया जाएगा एक्शन
सूत्रों के मुताबिक भितरघात या गड़बड़ी की जानकारी मिलने पर एक्शन भी  लिया जाएगा. कुछ जिलों में संगठन में बदलाव भी किया जा सकता है.  इसके तहत जिलाध्यक्षों, जिला प्रभारियों के साथ क्षेत्रीय पदाधिकारियों को हटाया भी जा सकता है.


भितरघात के आरोप
सूत्रों के मुताबिक अब तक की पड़ताल में यही सामने आया है कि टिकट वितरण की खामियों की वजह से ही बीजेपी की यूपी में ऐसी हालत हुई है. बहुत से ऐसे सांसद हैं, जिनके खिलाफ माहौल को देखते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उनको टिकट नहीं देने की गुजारिश की थी, लेकिन नजरअंदाज  किया गया और  प्रत्याशी थोप दिए गए. लिहाजा नाराज पार्टी कार्यकर्ता भी घर बैठ गए, जिसका परिणाम सामने है. कई सीटों पर भी भितरघात के आरोप लगे हैं. चुनाव बाद जिस तरह से पार्टी में भितरघात की बातें सामने आ रही हैं, उसे लेकर संगठन पर सवाल उठने लगे हैं.


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