Kanpur Lok Sabha Chunav 2024: देश लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. राजनैतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. यूपी की 80 लोकसभा सीटों को लेकर भी पार्टियां प्रत्याशियों को लेकर मंथन में जुटी हैं. गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा कानपुर यूपी की सियासत में खास प्रभाव रखता है. कानपुर लोकसभा सीट भी हॉट सीट में गिनती होती है. यहां की जनता ने बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी लेकर कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल जैसे दिग्गज नेताओं को चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचाया है. 


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2024 लोकसभा चुनाव में कौन प्रत्याशी (kanpur Lok Sabha Chunav 2024 Candidate)
बीजेपी -  रमेश अवस्थी
सपा-कांग्रेस गठबंधन - आलोक मिश्रा
बसपा - कुलदीप भदौरिया


 


सपा-बसपा का नहीं खुला खाता
कानपुर लोकसभा सीट पर अब तक समाजवादी पार्टी और बसपा एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई हैं. बीते 23 साल में यहां से बीजेपी 5 बार जबकि 3 बार कांग्रेस जीती है. 1999 में यहां से कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल, 2004 में उन्होंने फिर इस सीट पर कब्जा जमाया. 2009 में उन्होंने यहां से परचम लहराकर जीत की हैट्रिक लगाई. लेकिन इसके बाद 2014 में  15 साल बाद कमल खिला, मौजूद समय में बीजपी के पास ही यह सीट है. 


2014 से बीजेपी के कब्जे में सीट 
बीते 10 साल से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. 2014 में यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी सांसद बने थे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को 1.5 लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया था. भाजपा 2019 लोकसभा चुनाव में भी यह सीट बचाने में कामयाब रही. मुरली मनोहर जोशी की जगह बीजेपी ने सत्यदेव पचौरी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने एक बार फिर कांग्रेस के प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को शिकस्त देकर सांसद बने. 


1999 से 2014 तक कांग्रेस का रही गढ़ 
कानपुर लोकसभा सीट पर एक समय कांग्रेस का परचम लहराता था. 1999 से लेकर 2014 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही. यहां से श्रीप्रकाश जायसवाल लगातार तीन बार सांसद बने. इसके बाद लगातार 10 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार है. 


1952 में कांग्रेस ने जीती सीट 
1952 में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की. कांग्रेस के हरिहर नाथ शास्त्री सांसद बने. इसके बाद 1957 से लेकर 1971 तक यहां से निर्दलीय उम्मीवार एसएम बनर्जी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे. 1977 में यहां पहली बार भारतीय लोकदल ने चुनाव जीता. मनोहर लाल यहां से सांसद चुने गए. इसके बाद 1980 में  सीट कांग्रेस के खाते में गई जब आरिफ मोहम्मद खान यहां से सांसद बने. इसके बाद 1984 में यहां से कांग्रेस के नरेश चतुर्वेदी ने चुनाव जीता. 1989 में यहां सीपीआई (इंडिया) का खाता खुला और सुभाषनी अली सांसद बनी.


1991 में पहली बार जीती बीजेपी
बीजेपी का खाता इस कानपुर लोकसभा सीट पर 1991 में खुला. यहां से जगतवीर सिंह द्रोण सांसद बने. इसके बाद 1996 में  भाजपा के टिकट पर जगतवीर सिंह द्रोण ने दोबारा परचम लहराया. 1998 में भी यह सीट बीजेपी के पास रही और जगतवीर सिंह द्रोण ने जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई. इसके बाद यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की. कानपुर लोकसभा सीट पर ज्यादातर स्थानीय उम्मीदवारों ने ही बाजी मारी है. 


कांग्रेस के खाते में गई सीट 
इस बार सपा और कांग्रेस गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है. अब देखना होगा कि कांग्रेस किस प्रत्याशी को मैदान में  उतारती है. वहीं देखना होगा कि बीजेपी सत्यदेव पचौरी पर एक बार फिर विश्वास जताती है या कोई नया उम्मीदवार मैदान में आता है. 


 


जनसंख्या/जातिगत आंकड़े
लोकसभा सीट में करीब 16 लाख वोटर हैं. जिसमे पुरुष वोटरों की संख्या 8 लाख 74 हजार और महिला वोटरों की संख्या करीब 7 लाख 23 हजार है. कानपुर लोकसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल क्षेत्र है. इस सीट में शहरी क्षेत्र की कानपुर पांच विधानसभाए आती हैं. जिसमें सामान्य जाति के वोटरों की संख्या 5 लाख, ओबीसी वोटरों की संख्या करीब 3 लाख, अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या 4 लाख और अनुसूचित जाति 3 लाख 80 हजार है. सबसे खास बात यह है कि मुस्लिम वोटर और अनुसूचित जाति का वोट जिसके खाते में गया उसकी जीत सुनिश्चित है.


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