Kaushambi Loksabha Seat: कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में क्या हैट्रिक लगा पाएगी बीजेपी? जानें सीट का सियासी समीकरण
Kaushambi Loksabha Seat: कौशांबी लोकसभा सीट का इतिहास कुछ ही वर्षों का है. साल 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई. यह सीट शुरुआत से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.
Kaushambi Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों से जारी है. कहा जाता है कि केंद्र में सत्ता की कुर्सी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक पार्टियां 80 सीटों पर वोटर्स को साधने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं. आज हम आपको यूपी की सबसे खास सीटों में से एक कौशांबी लोकसभा सीट के बारे में बताएंगे. बौद्ध भूमि के रूप में प्रसिद्ध कौशाम्बी उत्तर प्रदेश राज्य की 50वीं लोकसभा सीट है. 4 अप्रैल 1997 को इलाहाबाद से अलग होकर कौशांबी एक अलग जिला बना था.
कौशांबी लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
कौशांबी लोकसभा सीट का इतिहास कुछ ही वर्षों का है. साल 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई. यह सीट शुरुआत से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हो चुके हैं. इस सीट से एक बार सपा और दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है.
कौशांबी लोकसभा सीट पर पहली बार साल 2009 में लोकसभा चुनाव हुए थे और समाजवादी पार्टी के नेता शैलेन्द्र कुमार जीतकर सांसद बने थे. इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी से विनोद कुमार सोनकर उतरे और जीतकर संसद तक पहुंचे. साल 2019 में जनता ने दोबारा इस सीट पर भाजपा के विनोद कुमार सोनकर को सांसद बनाया. विनोद ने 383009 वोट पाकर चुनाव जीता था, जबकि सपा के इंद्रजीत सरोज दूसरे स्थान पर रहे. वर्ष 2014 से पहले यह सीट चायल लोकसभा के नाम से जानी जाती थी. वर्ष 1951 में हुए लोकसभा चायल से कांग्रेस प्रत्याशी मसुरिया दीन सांसद बने थे.
जातीय समीकरण
कौशांबी जिले की आबादी 1,599,596 है, जिनमें पुरुषों की संख्या 838,485 और महिलाओं की संख्या 761,111 है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां 85 % आबादी हिंदुओं की और 13 % मुस्लिम आबादी है. इस जिले में सामान्य जाति लगभग में 50%, पिछड़ी जाति लगभग में 30.7%, और अनुसूचित/जन जाति लगभग 20% आबादी है. कौशांबी भारत के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल है. हिंदुओं में भी करीब 70 % अनुसूचित जाति के लोग हैं. चुनाव में अनुसूचित वर्ग के वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं.
ब्राह्मण 265102
क्षत्रिय 180269
वैश्य 49486
कायस्थ 17673
मुस्लिम 42416
कुर्मी 173200
यादव 197942
मल्लाह 21208
पासी 212081
दलित 169665