Lok Sabha Election 2024: उत्तराखंड की दो सीटों पर बाघ बना चुनावी मुद्दा, जनता को समझाने में प्रत्याशियों को आ रहा पसीना
Lok Sabha Election 2024: उत्तराखंड से अक्सर वन्यजीवों के हमलों की खबरें सामने आती हैं. पहाड़ हो या मैदान हर कहीं जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है. ऐसे में उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल उधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर कई जगह लोग चुनाव का बॉयकॉट कर रहे हैं. इस पूरे मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें....
Dehradun: देश- दुनिया में उत्तराखंड की पहचान प्राकृतिक सौंदर्य, शांति और देवभूमि के रूप में है. लेकिन बाहर से बहुत खूबसूरत दिखने वाली इस दुनिया का सच बहुत ही डराने वाला है. उत्तराखंड में और खासकर कॉरबेट टाइगर रिजर्व वाले क्षेत्र में गुलदार और बाघ का आतंक बहुत ही बढ़ गया है. इस बार के लोकसभा चुनाव में वन्यजीवों के आतंक का मुद्दा बन रहा है. पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल लोकसभा सीट पर कई गावों के लोग इस बार चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. जबकि कुछ लोगों का इसबार नारा है कि 'कोई भी नहीं' (नोटा) का विकल्प का चयन करेंगे.
कॉरबेट टाइगर रिजर्व के आस- पास बसे गांव वाले का जंगली जानवरों के साथ संघर्ष की चुनौती हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है. उत्तराखंड की सभी लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होने हैं. पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल उधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर इस बार तेंदुआ भी चुनावी मुद्दा बन गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार के चुनाव में मतदाताओं का कहना है कि बॉयकॉट या मतदान? कुछ लोग बॉयकॉट का सोच रहे हैं, जबकि दूसरे कहते हैं कि वे 'कोई भी नहीं' (नोटा) विकल्प का चयन करेंगे.
रामनगर के सावलदेह, पतरानी, ढेला और पौड़ी जनपद के कई गांवों के लोगों को कहना है कि "इस बार कोई भी गांव वाला अपने वोट का प्रयोग नहीं करेगा. कुछ गांव वोलों का मन किसी भी उम्मीदवार का चयन नहीं करने का बै, गांव के मतदाताओं ने कहा कि ना तो हमारे सांसद ने हमारी मुसीबत पर ध्यान दिया है और न ही किसी विधायक ने".
बाघ का आतंक
उत्तराखंड में पिछले 10 वर्षों में तेंदुओं के द्वारा 264 मानव जिंदगियां को मौत के घाट उतारा गया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसमें 203 लोगों का शिकार तेंदुए के द्वारा और 61 लोगों को बाघों ने अपना शिकार बनाया है. सावलदेह, पतरानी, ढेला और पौड़ी जनपद के कई गांव आज भी प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार से लोगों की यह नाराजगी नई नहीं है. वन्यजीव हमलों ने विधानसभा चुनाव 2022 को भी प्रभावित किया था. टिहरी जनपद के कई गांवों ने विधानसभा चुनाव का बॉयकॉट किया. पौड़ी जनपद में भी लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान भी ऐसा ही कुछ देखा गया था. स्थानीय लोगों को कहना है कि वन्यजीवों का आतंक भी पलायन का एक बड़ा कारण है.
उत्तराखंड में राज्य सरकार ने देश की पहली मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान सेल की स्थापना की, प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने का भी प्रावधान किया है. सरकार के द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर दिया गया है. राज्य सरकार ने वन्यजीव हमले के पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे को बढ़ाकर 4 लाख रुपये से 6 लाख रुपये किया गया. "स्थानीय पशुओं के हमले का सामना करने वाले किसान अब मुआवजा प्राप्त करेंगे," मुख्य वन्यजीव अधिकारी समीर सिन्हा ने कहा, "वर्तमान में, वन्यजीव हमलों के कारण हुए नुकसान के लिए केंद्रीय मुआवजा 4 लाख रुपये है. अब, राज्य इसमें 2 लाख रुपये जोड़ेगा. यदि केंद्र राशि को बढ़ाता है, तो हम अतिरिक्त 2 लाख रुपये जारी रखेंगे".