Meerut Loksabha Seat: 25 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले मेरठ में बीजेपी क्या लगा पाएगी हैट्रिक, सपा-गठबंधन से बढ़ी चुनौती
Meerut Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों ने बिसात बिछाना शुरू कर दी है. मेरठ में अपने सुहाने अतीत को देखते हुए कांग्रेस ने इस सीट के लिए जोरआजमाइश शुरू कर दी है. आइए जानते हैं इस सीट का राजनीतिक इतिहास.
Meerut Lok Sabha Chunav 2024: 2019 के चुनाव के मुकाबले इस बार पश्चिमी के क्षेत्रों वाली सीटों पर सभी राजनीतिक दलों का फोकस पहले से ज्यादा है. इसमें से एक सीट है मेरठ-हापुड़ लोकसभा. पिछले तीन चुनाव से यहां पर बीजेपी का कब्जा है.आइए जानते हैं मेरठ लोक सभा सीट पर किस पार्टी का सबसे ज्यादा कब्जा रहा है और पिछली दो लोकसभा में किसने जनता के दिल को जीता.
मेरठ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र-प्रत्याशी
सपा-अतुल प्रधान
बीजेपी-अरुण गोविल
बता दें 2009 के बाद से मेरठ-हापुड लोकसभा सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा रहा है. बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल 2009 में मेरठ-हापुड लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे. उसके बाद से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. लोकसभा चुनााव 2024 में चौथी बार चुनाव जीतकर भाजपा एक बार फिर से भगवा फहराने की कोशिश करेगी.
मेरठ लोकसभा सीट में आने वाली 5 विधानसभा
मेरठ लोकसभा सीट के अंदर पांच विधानसभी सीट आती हैं. इनमें हापुड़, किठौर, मेरठ शहर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण शामिल है.
मेरठ में कांग्रेस का सुनहरा अतीत
1952 में देश की पहली लोकसभा के लिए हुए चुनाव में मेरठ को 3 लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था. मेरठ जिला (पश्चिम), मेरठ जिला (दक्षिण), मेरठ जिला (उत्तर पूर्व). इन तीनों ही सीट पर कांग्रेस जीती. इनमें मेरठ पश्चिम सीट से खुशी राम शर्मा, मेरठ दक्षिण से कृष्णचंद्र शर्मा और मेरठ उत्तर-पूर्व से शाहनवाज खान सांसद बने. 1957 में तीनों लोकसभा सीटों को एक कर मेरठ लोकसभा सीट का गठन किया गया. कांग्रेस ने इस चुनाव में शाहनवाज खान को फिर से चुनाव मैदान में उतारा. शाहनवाज लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए. 1962 में क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार महाराज सिंह भारती को हराकर शाहनवाज तीसरी बार सांसद बने.
1967 में पहली बार कांग्रेस हारी
तीन बार लगातार जीत दर्ज कराने वाली कांग्रेस को 1967 में पहली बार मेरठ सीट पर हार का सामना करना पड़ा. 1967 में कांग्रेस के खिलाफ खड़े हुए सोशलिस्ट पार्टी के एमएस भारती ने शाहनवाज खान को हराया. यह पहली बार था जब कांग्रेस मेरठ सीट से हारी थी.कांग्रेस ने 1971 में फिर से शाहनवाज खान को इसी सीट से उतारा. पांचवीं लोकसभा में शाहनवाज फिर जीते. शाहनवाज मेरठ के पांचवें सांसद चुने गए. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ऑर्गनाइजेशन) उम्मीदवार हरी किशन को भारी वोटों के अंतर से हराया. छठवीं लोकसभा चुनाव में बीएलडी के कैलाश प्रकाश ने शाहनवाज खान का हराया.
बीजेपी का दबदबा
1980 में कांग्रेस ने नई उम्मीदवार मोहसिना किदवई को मेरठ सीट से उतारा. 1980 और 1984 में लगातार दो बार मोहसिना यहां से सांसद चुनी गईं. 1989 में मोहसिना हार गईं. 1991 में बीजेपी ने अमर पाल सिंह को उतारा वह 1991, 1996, 1998 में लगातार तीन बार सांसद भी चुने गए.
मेरठ लोकसभा 2019 चुनाव परिणाम
मेरठ लोकसभा 2014 चुनाव परिणाम
मेरठ की आबादी
2019 के आंकड़ों के मुताबिक यहां करीब 5 लाख 64 हजार मुस्लिम समुदाय है. इसके अलावा जाट भी इस शहर में अच्छा प्रभाव रखते हैं. जाटों की आबादी यहां करीब 3 लाख 14 हजार 788 है. बात करें बाल्मीकि समाज की तो यहां इनकी संख्या 58,700 के आसपास है. मेरठ लोकसभा सीट पर ब्राह्मण समाज एक लाक 18 हजार, वैश्य 1 लाख 83 हजार, त्यागी समाज के लोगों की 41 हजार आबादी है. पिछड़े वर्गों में जाटों की आबादी करीब एक लाख 30 हजार के आसपास है. गुर्जर समुदाय के लोगों का भी यहां खासा जोर है.गुर्जरों की आबादी करीब 56,300 है.
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