Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की पश्चिमी यूपी में स्थित मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर पहले चरण में ही वोटिंग होनी है. यानी 19 अप्रैल को यहां वोट डाले जाएंगे. मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के मैदान में आमने सामने बीजेपी और सपा में कड़ी टक्कर है. बीजेपी ने यहां पर दो बार से लगातार सांसदी जीत रहे  संजीव बालियान को मैदान में उतारा है. वहीं सपा की ओर से हरेंद्र मलिक को को उम्मीदवार बनाया गया है जोकि बड़े जाट नेता होने की पहचान रखते हैं. ऐसे में इस सीट पर दो जाट नेताओं में सीधा मुकाबला है. 


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मुजफ्फरनगर सीट पर मुस्लिम व जाट वोटर प्रमुख भूमिका में होते हैं. संजीव बालियान साल 2014 से ही लगातार दो बार चुनाव जीत सकें हैं और दोनों बजेपी ने टिकट दिया. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा सीट आते हैं- 
बुधना, चरथावल
मुजफ्फरनगर
खतौली और सरधना 


बालियान लगातार दो बार अव्वल 
संजीव बालियान को 2014 में 6,53,391 वोट हासिल हुए. दूसरे नंबर पर कादिर राणा रहे थे जोकि बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़कर 2,52,241 वोट हासिल कर पाएं.  चुनाव में सपा-बसपा अलग-अलग ही मैदान में थे. वैसे 2019 के चुनाव में इस चर्चित सीट पर जबरदस्त मुकाबला रहा. सपा-बसपा व राष्ट्रीय लोकदल साथ थे. मुजफ्फरनगर सीट से उतरे संजीव बालियान के सामने रालोद के चौधरी अजित सिंह थे. दोनों में कड़ी मुकाबला हुई और बालियान 5,73,780 वोट पाकर अव्वल रहे. चौधरी अजित सिंह 5,67,254 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे. 


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रालोद की भूमिका 
2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी को 49.7 फीसद व रालोद को 49.1 फीसद वोट पड़े पर 2024 यानी मौजूदा समय में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में राष्ट्रीय लोकदल जुड़ चुकी है और सियासी समीकरण अब यहां पर पहले की तरह नहीं रहे है. रालोद के भारी जाट वोटर एनडीए के साथ हो सकते हैं. दूसरी ओर सपा-बसपा के अलग अलग लड़ने से स्थिति भी अलग  हो गई है. 


मुजफ्फरनगर सीट का सियासी समीकरण
साल 1990 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन, पिछले आठ लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पांच बार यहां से जीत हासिल की. संजीव बालियान इस बार जीत की हैट्रिक लगा सकते हैं. उनकी टक्कर सपा के हरेंद्र मलिक से हैं. हरेंद्र मलिक जोकि 1985 खतौली, 1989, 1991 और 1996 में बुरा से विधान सभा का चुनाव जीत चुके है और साल 2002 से 2008 तक वे राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. पिचली बार कांग्रेस से चुनाव लड़े थे जिसमें केवल 70 हजार वोट ही मिले थे. सपा के हरेंद्र मलिक को भरोसा है कि जाट, मुस्लिम के साथ ही त्यागी समाज से समर्थन मिल सकती है. तो वहीं बसपा के दारा सिंह प्रजापति अपने स्वजातीय और दलित वोटरों की मदद की उम्मीद के साथ मैदान में उतरे हैं. मुजफ्फरनगर में वोटरों की संख्या करीब 18 लाख है जिसमें मुस्लिम 20 फीसद है, जाट 12 फीसद हैं, दलित 18 फीसद हैं. इस सीट पर यहां पर जाट और मुस्लिम वोटर्स प्रमुख भूमिका में होते हैं.