कल्कि धाम से आज संभल को साधेंगे पीएम मोदी, 50% मुस्लिम वोटर्स वाला जिला बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
Sambhal Kalki Dham: अयोध्या में राम मंदिर के बाद संभल के कल्कि धाम से बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देगी और पीएम का ये दौरा संभल के साथ साथ पश्चिम यूपी के कई जिलों पर असर डालेगा.इस पावन जगह से पीएम मोदी भगवान कल्कि को नमन करेंगे तो हिंदुत्व के बहाने मिशन 400 पार के लिए चुनावी समीकरण भी साधेंगे.
Sambhal Lok Sabha Seat 2024: आम चुनाव 2024 (Loksabha Elections 2024) में अब बस अभी कुछ महीने ही बचे हैं.राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता का सेमीफाइनल जीतकर उत्साह से लबरेज बीजेपी सत्ता का फाइनल खेलने को तैयार है. प्रधानमंत्री मोदी ने 'मिशन 370' का नारा देकर माहौल बना दिया है. 'मिशन 370' को लेकर बीजेपी का टारगेट सेट है. जिन सीटों पर बीजेपी 2019 में जीती वहां फिर से कमल खिलाने की तैयारी है तो हारी हुई सीटों पर भी भगवा लहराने की योजना है. भाजपा का लक्ष्य यूपी में हारी हुई 14 सीटों पर भी बना हुआ है, जिनमें 6 सीटें पश्चिमी यूपी की हैं. प्रधानमंत्री मोदी का संभल दौरा इन्हीं सीटों को जीत में बदलने की कवायद है.
कल्कि धाम का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभल में 15 साल बाद जा रहे हैं. जहां वे विश्व के अनोखे मंदिर कल्कि धाम का शिलान्यास करेंगे. पीएम मोदी का संभल दौरा लोकसभा के लिए गेम चेंजर हो सकता है. अब सवाल भी है कि आखिर भाजपा के संभल दौरे के मायने क्या हो सकते हैं?
हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देगी बीजेपी
अयोध्या में राम मंदिर के बाद संभल के कल्कि धाम से भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देगी. पीएम मोदी का ये दौरा संभल के साथ पश्चिम यूपी के कई जिलों पर असर डालेगा. इस समारोह में पीएम मोदी लोगों को संबोधित करेंगे और बीजेपी कार्यकर्ताओं में आम चुनाव में जीत के लिए जोश भी भरेंगे.
इन सीटों पर भाजपा की नजर
बीजेपी हाल में हारी हुई 6 सीटों- मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, संभल, बिजनौर और नगीना को जीत में जीत में बदलना चाहती है.ताकि लोकसभा चुनाव में यूपी से सीटों की संख्या बढ़ सके. राजनीतिक लिहाज से बात करें तो संभल सीट हमेशा ही महत्वपूर्ण रही है.
सपा का रहा है वर्चस्व
मुस्लिम और यादव बहुल्य संभल लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है. आचार्य प्रमोद कृष्णम के कांग्रेस से अलग होने के बाद और कल्कि धाम के पीठाधीश्वर के रूप में उनका चेहरा आगे है और खबरें हैं कि बीजेपी से उनके रिश्ते मजबूत हो रहे हैं. संभल में बसपा और समाजवादी पार्टी ने सबसे ज्यादा राज किया है. संभल सीट पर यादव प्रत्याशी का सबसे ज्यादा कब्जा रहा है. यहां से 11 बार यादव उम्मीदवार जीते हैं. बीजेपी केवल एक बार यहां से जीती है. संभल कभी मुरादाबाद का हिस्सा हुआ करता था. संभल के कल्कि मंदिर के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 18 साल पहले ये संकल्प लिया था कि जहां भगवान के अवतार जन्म लेंगे, वहां भगवान का कल्कि धाम बनेगा.
संभल में 5 विधानसभा सीटें
चंदौसी, बिलारी, कुंदरकी, असमौली और संभल.
मुलायम सिंह की कर्मभूमि
सपा मुखिया अखिलेश यादव के पिता और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को संभल की कर्मभूमि माना जाता है. वर्ष 1977 में संभल लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. 2014 तक इस सीट पर 11 बार लोकसभा चुनाव हुए. इस सीट से दो बार मुलायम सिंह यादव, एक बार राम गोपाल यादव, 2 बार श्रीपाल सिंह यादव और 1 बार धर्मपाल यादव सांसद बने. फिलहाल 94 साल के शफीकुर्रहमान बर्फ यहां से सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को हराया था. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव ने फिर उन्हें टिकट दिया है.
2004 के परिसीमन के बाद जातीय समीकरण बदला
2004 के परिसीमन के बाद जातीय समीकरण बदला और यादव वोटरों की संख्या कम हुई. 2019 के आंकड़ों के अनुसार संभल में करीब 16 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. इसमें करीब 9 लाख पुरुष मतदाता और 7 लाख महिला वोटर हैं.
50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी
यहां करीब 40 फीसदी हिंदू और 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. मुस्लिम वोटरों की बात करें तो करीब साढ़े 8 लाख मुस्लिम वोटर हैं. जबकि अनुसूचित जाति के करीब 2.75 लाख, यादव डेढ़ लाख और 5.25 लाख में पिछड़ा और सामान्य वोटर हैं.
महिला वोटर बीजेपी के लिए कमाल
बीते कुछ चुनावों को देखें तो उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत,किसान सम्मान निधि, तीन तलाक का खात्मा और कई अन्य योजनाओं से बीजेपी को चुनावों में भरपूर लाभ मिला है. मुस्लिमों ने भी बीजेपी के लिए बढ़-चढ़कर वोट दिया है.इनमें ज्यादातर संख्या महिलाओं की रही है. अगर संभल में मुस्लिम महिलाओं को बीजेपी लुभा पाए तो स्थिति काफी हद तक बदल सकती है.
इसलिए अनूठा है कल्कि धाम
कल्कि धाम पहला ऐसा धाम है जहां भगवान के अवतार लेने से पहले उनका मंदिर स्थापित हो रहा है. कल्कि मंदिर में एक नहीं 10 गर्भगृह होंगे. भगवान विष्णु के 10 अवतारों के 10 अलग-अलग गर्भगृह स्थापित किये जाएंगे. मंदिर में स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. गुलाबी रंग के पत्थर जिनसे सोमनाथ मंदिर और अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण किया गया है, यहां के निर्माण में उसी तरह के पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा. लगभग 5 एकड़ जमीन पर इसका निर्माण होगा और करीब 5 साल इस मंदिर को बनने में लगेंगे. मंदिर का शिखर 108 फीट ऊंचा होगा. 11 फीट के ऊपर मंदिर का चबूतरा बनेगा. 68 तीर्थ की इसमें स्थापना होगी.
आज भी कल्कि अवतार लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है. श्रीमद्भगवद्गीता पुराण के बारहवें स्कन्द में उल्लेख है कि भगवान का कल्कि अवतार कलयुग के अंत और सत्ययुग के संधि काल में होगा. इस मंदिर के खुले अहाते में एक गुमटी है जो चारों ओर से जाली के पत्थरों से ढकी हुई है. इस गुमटी में संगमरमर से बनी हुई घोडे़ की मूर्ति स्थापित है. इस घोड़े पर ही भगवान कल्कि सवार होंगे. इस घोड़े के तीन पैर जमीन पर हैं और आगे का एक पैर ऊपर उठा है.