पंजाब में जन्मी पर यूपी की बहू बनी, ससुराल में मिली हार पर दिल्ली ने सिर आंखों पर बिठाया
Sheila Dikshit Biography : उत्तर प्रदेश की एक बहू जिनको उसके ससुराल के वोटरों ने ही वोट न देकर बुरी तरह हारने पर मजबूर कर दिया. हालांकि आगे का के अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने सफलताओं का एक पूरा दौरा देखा. 31 मार्च को शीला दीक्षित का जन्म जयंती होती है.
Shiela Dixit Jayanti / LOk Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश की एक बहू जिन्होंने दिल्ली में 15 साल तक मुख्यमंत्री पद को संभाला और राजधानी की तस्वीर बदल दी. दरअसल, हम बात कर रहे हैं शीला दीक्षित की जो थीं तो पंजाबी लेकिन यूपी की बहू के रूप में उन्होंने पूरे यूपी का खूब नाम किया. शीला दीक्षित पंजाब के कपूरथला में 1938 के 31 मार्च को पैदा हुई, यानी इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. ब्राह्मण वर्ग से ताल्लुक रखने वाली शीला दीक्षित ने शिक्षा से लेकर राजनीति तक अपनी पूरी पृष्ठभूमि दिल्ली से ही बनाई. पहले दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी. फिर ऐसा भी वक्त आया जह शीला दीक्षित ने सीएम बनकर पूरी दिल्ली को संभाला. (Shiela Dixit Jayanti)
दिल्ली की सियासत
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राजनैतिक करियर सफल रहा लेकिन उनका यह करियर जितना सफल रहा उससे ज्यादा मुश्किल भरा रहा. यूपी के उन्नाव में शीला दीक्षित बहू बनकर आईं और अपनी ससुराल से ही सांसद बनकर दिल्ली का रास्ता तय किया लेकिन उनके इस रास्ते का कांटा खुद उनके ही ससुराल उन्नाव के मतदाता बन गए. साल 1996 का लोकसभा चुनाव में उन्होंने तिवारी कांग्रेस से लड़ा जिसमें उन्हें जबरदस्त हार मिली.
इस लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित ने मात्र 11037 वोट हासिल किए थे, तब वो पांचवें स्थान रही थीं. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि कुल पड़े वोट का 2.30 फीसदी वोट ही शीला दीक्षित को मिला था. बीजेपी को इस चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई थी. इसके बाद उनको पार्टी हाईकमान ने उनको दिल्ली की सियासत सौंपी जिसे शीला दीक्षित ने बड़ी ही काबिलियत के साथ संभाला.
तीन बार लगातार मुख्यमंत्री
15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री पद पर रही शीला दीक्षित ने साल 1984 से 89 तक कन्नौज (उप्र) से ही लोकसभा का चुनाव लड़ती रहीं. लोकसभा की समितियों में रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में शीला दीक्षित ने भारत की प्रतिनिधित्व भी किया. इतना ही नहीं राजीव गांधी सरकार में उन्होंने केंद्रीय मंत्री का भी पदभार संभाला. वहीं, जब 1996 में उन्नाव से ताल ठोका तो उनके ससुराल उन्नाव के मतदाता ने उनका साथ नहीं दिया. शीला दीक्षित जब साल 1998 मे पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी को लगातार 15 साल तक यानी तीन बार साल 2013 तक इस पद पर बैठी ही रहीं.
ससुराल में राजनैतिक विरासत
शीला दीक्षित की इस कामयाबी पर उनके ससुराल यानी उन्नाव के लोगों का सीना तो चौड़ा हुआ ही इसके साथ ही पूरे यूपी का उन्होंने मान बढ़ाया. शीला दीक्षित की ससुराल जिले के फतेहपुर चौरासी ब्लॉक के ऊगू कस्बे में पड़ता है. केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री व आगे चलकर राज्यपाल पद पर रहीं शीला दीक्षित के निजी जीवन की बात करें तो उनकी दिवंगत उमाशंकर दीक्षित के बेटे आईएएस विनोद दीक्षित के साथ उनकी शादी हुई. इमरजेंसी से पहले तक तो शीला दीक्षित का बहुत सारा समय ससुराल में ही बीतता था. उनके पति की मृत्यु ट्रेन में सफर के दौरान हो गई, दूसरी ओर ससुर उमाशंकर दीक्षित की राजनीतिक विरासत को शीला दीक्षित ने संभालते हुए साल 1984 में पहली दफा कन्नौज से चुनाव जीती और 1989 का चुनाव हार गई.