Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य करेंगे `घर वापसी`, 7 साल में तीन दल बदले, 2 बार बनाई पार्टी
Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य इससे पहले सपा, भाजपा और बसपा में रह चुके हैं. एक बार फिर उनके बसपा में जाने की खबर है. सपा छोड़ने के बाद मौर्य ने अपनी पार्टी बना ली थी.स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के साथ अपने दल का गठबंधन कर सकते हैं.
Swami Prasad Maurya News: राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की लोकसभा चुनाव 2024 के आखिरी चरण से पहले घर वापसी हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी के संपर्क में हैं. ऐसा माना जा रहा है कि स्वामी मौर्य जल्द ही बसपा का दामन थाम सकते हैं. ये भी कयास हैं कि वह खुद भी बसपा के लिए चुनाव लड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक आखिरी चरण के चुनाव से पहले राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का बीएसपी के साथ गठबंधन अथवा विलय संभव है. स्वामी के बसपा में शामिल होने की चर्चा शनिवार को सोशल मीडिया पर चलती रहीं. सूत्रों के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य जल्द कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं.
स्वामी की घर वापसी
राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (Rashtriya Shoshit Samaj Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी के संपर्क में हैं. आठ साल पहले टिकट के लिए पैसे सिंडिकेट का आरोप लगाकर बसपा के लिए मुसीबत पैदा करने वाले स्वामी की वापसी होती है तो पार्टी के पुराने नेताओं के लिए भी वापस आने के रास्ते खुल सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक बसपा में उनकी वापसी की तैयारी आखिरी दौर में है. एक से दो दिन में बीएसपी सुप्रीमो से मुलाकात कर स्वामी प्रसाद मौर्य वापस बीएसपी में शामिल हो सकते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आखिरी चरण के चुनाव से पहले इस पर फैसला हो सकता है और मौर्य खुद भी चुनाव लड़ सकते हैं. फिलहाल बसपा से संपर्क को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वह दोबारा मायावती (Mayawati) के साथ चुनावी मैदन में होंगे.
पहले भी बदल चुके हैं पाला
ऐसा पहली बार नहीं होगा जब स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) किसी पार्टी में शामिल हो रहे हैं. वह इससे पहले भी वे कई बार अपना सियासी पाला बदल चुके हैं. सपा छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाई थी. लोकसभा चुनाव के लिए कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे हैं. स्वामी प्रसाद उनके लिए प्रचार भी कर रहे हैं.
स्वामी का सियासी सफर
स्वामी ने साल 1980 के दशक से राजनीति शुरू की थी. स्वामी प्रसाद मौर्य बतौर विधायक पहली बार साल 1996 में विधानसभा पहुंचे थे. वह साल 1991 से सन् 1995 तक जनता दल में रहे. साल 1996 में वह बसपा में आए फिर यहीं से उनके सियासत शुरू हुई. बसपा में वह प्रदेश महामंत्री और उपाध्यक्ष की हैसियत से आए और फिर डालमऊ से विधायक चुने गए. साल 1997 में ही वह बसपा-बीजेपी गठबंधन की सरकार में मंत्री भी बने. साल 2001 में वह नेता प्रतिपक्ष बनाए गए. साल 2002 में वह पडरौना से विधायक चुने गए. इस दौरान साल 2002-2003 में बसपा सरकार में मंत्री बने. बसपा सरकार जाने के बाद वह मायावती ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. साल 2007 में जब बसपा ने यूपी में जीती तब स्वामी फिर मंत्री बने और साल 2012 तक पद पर बने रहे.
बनाई अपनी पार्टी और फिर बीजेपी में गए
साल 2012 में बसपा चुनाव हारी. इसी साल स्वामी अपना चुनाव जीतकर नेता प्रतिपक्ष बने. साल 2016 में उन्हें बसपा के साथ बगावत की और बीजेपी का दामन थाम लिया. बसपा से दो दशक पुराना रिश्ता खत्म कर दिया. उन्होंने लोकतांत्रिक बहुजन मंच बनाया. साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए.योगी सरकार में मंत्री बने. जनवरी 2022 में उन्होंने बीजेपी और यूपी कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. साल 2022 के चुनाव के पहले वह सपा में आए लेकिन अपना ही चुनाव हार गए. बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद भेजा.
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