लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता के लिहाज से आपदा को अवसर बनाने के लिए कहा था लेकिन यूपी की राजधानी लखनऊ के अस्पतालों ने इलाज के नाम पर आपदा को अवसर मान लिया है. गोमतीनगर के एक नामी निजी अस्पताल से ऐसी ही घटना सामने आई है. यहां कोरोना पॉजिटिव मरीज के इलाज के लिए जब परिजन उन्हें लेकर आए तो अस्पताल ने उनके 3 दिन के इलाज का बिल 3 लाख रुपये बनाया. इसके बाद भी जब डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए तो अस्पताल प्रशासन शव देने में भी आनाकानी करने लगा. 


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गोमतीनगर के मेयो अस्पताल का मामला 
राजधानी के गोमतीनगर इलाके में मौजूद मेयो अस्पताल में ये सारा वाक्या हुआ. यहां 45 वर्षीय कोरोना पेशेंट रमेश कुमार सिंह की मौत के बाद उनके तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया. उनका आरोप है कि अस्पताल ने पेशेंट का इलाज करने में लापरवाही बरती है. इसके अलावा परिजनों ने ये भी बताया कि मेयो अस्पताल ने कोरोना का इलाज करने के लिए 3 दिन में 3 लाख का बिल बना दिया. फिर भी जब पेशेंट की मौत हो गई तो अस्पताल ने उनसे डेडबॉडी सौंपने के बदले बिल के 3 लाख रुपये जमा करने की मांग की. 


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मरीज के इलाज में लापरवाही का भी आरोप 
दिवंगत पेशेंट रमेश के तीमारदारों ने बताया कि उन्हें 3 दिन पहले लोकबंधु अस्पताल से लेवल- 2 से लेवल- 3 के लिए रेफर किया गया था. लेकिन मेयो अस्पताल के डॉक्टर लेवल-3 के बजाय लेवल-2 में ही उनका इलाज कर रहे थे. जिसकी वजह से पेशेंट को बचाया नहीं जा सका. 


मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी 
इस पूरे हंगामे की सूचना पाकर मौके पर भारी पुलिस बल पहुंच गया. सिटी मजिस्ट्रेट भी मेयो अस्पताल में पहुंचे हैं. जिनसे शिकायत की गई है कि निजी अस्पताल कोरोना महामारी के नाम पर लोगों को लूट रहे हैं. इलाज के नाम पर पैसे का खेल चल रहा है और लाखों की उगाही चल रही है.


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