यूपी पुलिस के मुखिया पर क्यों छिड़ी महाभारत, लगातार 4 बार से अस्थायी DGP, योगी सरकार और सपा में क्यों ठनी
UP DGP: यूपी में डीजीपी कौन बनेगा, इसका फैसला खुद यूपी सरकार कर सकेगी. यानी यानी अब पैनल यूपीएससी को नहीं भेजा जाएगा. डीजीपी का कार्यकाल 2 साल होगा.यूपी सरकार ने डीजीपी के नियम को बदला है और इनकी नियुक्ति की पुरानी और नई प्रक्रिया क्या होगी, आइए जानते हैं.
UP DGP: उत्तर प्रदेश का डीजीपी कौन होगा, इसका फैसला केंद्र नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार खुद करेगी. योगी कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है. यानी अब पैनल यूपीएससी को नहीं भेजा जाएगा. डीजीपी का कार्यकाल 2 साल होगा. करीब ढाई साल बीत चुके हैं, जबसे यूपी में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं हुई है. इस दौरान चार आईपीएस को अस्थायी डीजीपी बनाया गया है. आखिर क्या वजह है कि यूपी सरकार ने डीजीपी के नियम को बदला है और इनकी नियुक्ति की पुरानी और नई प्रक्रिया क्या होगी, आइए जानते हैं.
यूपी में कैसे होगी डीजीपी की नियुक्ति?
नयी नियमावली के मुताबिक डीजीपी के चयन के लिए हाईकोर्ट के एक रिटायर जज की अगुवाई वाली समिति का गठन किया जाएगा. जिसमें प्रदेश के मुख्य सचिव, यूपीएससी का नामित प्रतिनिधि, यूपी लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष या एक नामित प्रतिनिधि, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव और राज्य के एक रिटायर डीजीपी सदस्य होंगे. डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो साल का होगा. डीजीपी वही अधिकारी बनेगा, जिसकी सेवा अवधि कम से कम 6 महीने बची हो.
पहले कैसे चुने जाते थे डीजीपी?
इससे पहले यूपी डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपी सरकार को संघलोक सेवा आयोग पर निर्भर रहना होता था. राज्य सरकार की तरफ से यूपीएससी को डीजीपी की नियुक्ति के लिए उन अधिकारियों का पैनल भेजा जाता था, जिन्होंने पुलिस सेवा में 30 साल की सेवा दी है. साथ ही इनका कार्यकाल 6 महीने बाकी है. यूपी सरकार आयोग को तीन नामों का पैनल भेजती थी. जिनमें से एक को डीजीपी बनाया जाता था.
प्रशांत कुमार हो सकते हैं स्थायी डीजीपी
प्रशांत कुमार अभी यूपी के अस्थायी डीजीपी हैं. उनका कार्यकाल 6 महीने से ज्यादा बचा हुआ है. 31 मई 2025 को प्रशांत कुमार रिटायर हो रहे हैं. नई नियमावली के लागू होने के बाद उनको स्थायी डीजीपी बनाया जा सकता है.
अस्थायी डीजीपी क्यों बन रहे?
यूपी में स्थायी डीजीपी के लिए यूपी सरकार और यूपीएससी के बीच पुरानी तकरार वजह बताई जाती है. दरअसल 11 मई 2022 को तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को सरकार ने हटा दिया था.उनकी जगह डीएस चौहान को अस्थाई डीजीपी बनाया गया. डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने यूपीएससी को प्रस्ताव भेजा. जिसमें डीएस चौहान और अन्य के नाम थे. लेकिन यूपीएससी ने इस पर मंजूरी न देते हुए मुकुल गोयल को हटाने का कारण पूछ लिया. इसके बाद से अस्थायी डीजीपी बनते चले आ रहे थे.
ये चार अधिकारी बने अस्थायी डीजीपी
यूपी में अब तक चार अस्थाई डीजीपी बने हैं. 1988 बैच के आईपीएस डीएस चौहान 13 मई 2022 से 31 मार्च 2023 तक अस्थाई डीजीपी रहे. इसके बाद 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा 1 अप्रैल 2023 से 31 मई 2023 को यह जिम्मेदारी मिली. 1988 बैच के आईपीएस विजय कुमार ने 1 जून से 31 जनवरी 2024 तक अस्थायी डीजीपी की कमान संभाली. वहीं, प्रशांत कुमार को 1 फरवरी 2024 में डीजीपी बनाया गया था.
डीजीपी मामले पर सियासत
वहीं, अब डीजीपी मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर सरकार पर तंज कसा है. सपा अध्यक्ष ने इस फैसले पर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की है. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल दो साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है. सवाल यह है कि व्यवस्था बनाने वाले ख़ुद दो साल रहेंगे या नहीं. यह भी कहा, कहीं यह दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है."
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