AMU minority status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा मिलेगा या नहीं, इसका फैसला इसी सप्ताह हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने एएमयू समेत 5 बड़े मामलों की सुनवाई की थी, जिसका फैसला सुरक्षित रखा गया है. जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि बचे हुए दिनों में इन मामलों में फैसला आ जाएगा.


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SC ने सुरक्षित रखा फैसला
एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने इस मामले को 2019 में 7 जजों की संविधान पीठ को भेजा था. जिन सात जजों  ने केस की सुनवाई की, उसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं. मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. 1 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा गया था. माना जा रहा है कि दिवाली की छुट्टी के बाद कोर्ट खुलने पर इस मामले में फैसला आ जाएगा.


अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा हटा तो क्या असर?
बता दें कि अगर किसी संस्थान का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा खत्म होता है तो विश्वविद्यालय एक्ट में बदलाव कर प्रवेश रिजर्वेशन कोटा नीति में बदलाव किया जाता है. प्रवेश आरक्षण नीति अन्य यूनिवर्सिटी की तरह सभी जाति-वर्ग के लिए कर दी जाती है. एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म होता है तो 50 फीसदी इंटरनल छात्रों के प्रवेश का कोटा भी खत्म हो जाएगा. यूनिवर्सिटी में मुस्लिम छात्रों के मुकाबले अन्य धर्म-वर्ग के लोगों के छात्रों की संख्या बढ़ेगी.


इन मामलों में भी फैसला
इसके अलावा यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट की संवैधानिकता मामले में सु्प्रीम कोर्ट को फैसला सुनाना है. बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. साथ ही एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंसधारक क्या 7500 किलो तक के वजन के ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जा सकते हैं या नहीं. इस पर भी कोर्ट का फैसला आना है. निजी संपत्ति के अधिग्रहण के पुनर्वितरण और भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम और शर्तों में बदलाव हो सकता है या नहीं.