UP Election Vote Counting Process 2024: देश में सबकी निगाहें इस वक्त महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की नौ सीटों के परिणामों पर है. सबकी उत्सुकता इस बात को लेकर है कि किस सीट का सबसे पहले रुझान आएगा और फिर कब तक किस सीट का सबसे पहले रिजल्ट आएगा. उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए मतगणना 23 नवंबर सुबह 8 बजे प्रारंभ होगी. सभी 9 जिलों में मतगणना होगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कैसे होती है काउंटिंग
ईवीएम से मतदान होने के कारण अब कई दिनों या रात तक रिजल्ट के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता. लेकिन अभी भी मतगणना के कई चक्र होते हैं. उससे भी पहले बैलेट पेपर की गिनती होती है. हर राउंड के बाद सभी उम्मीदवारों को मिले वोटों की घोषणा कैसे की जाती है. एजेंट कहां बैठते हैं. आइए जानें मतगणना की पूरी प्रक्रिया...नौ जून की सुबह 8.30 बजे ईवीएम की मतगणना शुरू होगी औऱ कुछ घंटों में ही परिणाम सबके सामने होंगे.


निर्वाचन क्षेत्र के आरओ के अधीन काउंटिंग
जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 64 के मुताबिक, मतगणना उस निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (RO) या उसकी निगरानी में होती है. उस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव की पूरी प्रक्रिया आरओ ही कराता है. रिटर्निंग ऑफीसर सामान्यतया जिलाधिकारी ही होता है. एक जिले में ज्यादा चुनाव क्षेत्र होने पर अन्य सरकारी अफसर भी ये जिम्मेदारी संभालते हैं. इन अधिकारियों को निर्वाचन आयोग संबंधित राज्य सरकार की सलाह पर नियुक्त करता है.


बड़े काउंटिंग हॉल में मतगणना
चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया की घोषणा के साथ मतगणना की तारीख 23 नवंबर निर्धारित कर दी थी. निर्वाचन क्षेत्र का मतगणना केंद्र भी रिटर्निंग ऑफिसर तय करता है. लोकसभा या विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्र की मतगणना भी एक स्थान पर होती है. जिला मुख्यालय पर ही अमूमन स्ट्रांग रूम बनाया जाता है. मतगणना सीधे RO की निगरानी में होती है. वोटों की गिनती बड़े काउंटिंग हॉल में होती है. ईवीएम के लिए अलग-अलग टेबल होती हैं. सीसीटीवी से इसकी निगरानी होती होती है. हर प्रत्याशी का एजेंट भी नजदीक से इस पूरी प्रक्रिया को देखता है, उसी के सामने ईवीएम की सील खोली जाती है.


मतगणना के दिन खुलता है स्ट्रांग रूम
मतदान के बाद ईवीएम सभी जिला मुख्यालयों या आरओ मुख्यालयों पर स्ट्रॉन्ग रूम में सील कर रख दी जाती हैं.मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम से निकालते हैं. इन मशीनों को उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के सामने खोला जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर के मतगणना कर्मचारी वोटों की गिनती करते हैं.


मतगणना एजेंट भी निगरानी
मतगणना कर्मचारियों की निष्पक्षता के लिए तीन स्तरीय रैंडम प्रक्रिया होती है मतगणना के दौरान सभी दलों और निर्दलीय उम्मीदवार के मतगणना एजेंट और इलेक्शन एजेंट के साथ काउंटिंग हॉल में मौजूद रहते हैं. मतगणना टेबल और मतगणना एजेंटों के बीच दूरी बनाए रखी जाती है. बांस बल्ली लगाई जाती है, ताकि कोईभी एजेंट ईवीएम को छू न सके या मतगणना में कोई गड़बड़ी कोई पैदा न कर सके. 


सबसे पहले पोस्टल बैलेट 
मतगणना 8 बजे शुरू होने के साथ सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती सीधे आरओ की निगरानी में होती है. सहायक निर्वाचन अधिकारी कुल पोस्टल बैलेट में मिले वोटों की गिनती में मदद करते हैं. सेना, पुलिस और कुछ अन्य आवश्यक सेवाओं के कर्मियों को ये पोस्टल बैलेट चुनाव के दौरान दिया जाता है. अब 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग भी ऐसे वोट करते हैं. 


मतगणना का एक राउंड
मतगणना में जब 14 ईवीएम के मतों की गिनती पूरी होती है तो एक राउंड या एक चक्र की वोटिंग पूरी होती है. हर चक्र का नतीजा आरओ घोषित करता है. पूरी मतगणना के बाद रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव परिणाम की घोषणा करता है. फिर विजेता उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट मिलता है. अगर कोई विवाद होता है तो दोबारा मतगणना भी कराई जाती है.


और पढ़ें


UP by Election 2024: यूपी की इस सीट पर सबसे पहले आएगा परिणाम, उपचुनाव का काउंट डाउन शुरू