Friendship Day: उज्जैन में है दोस्ती की मिसाल देने वाला मंदिर, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास
Friendship Day : क्या आपको पता है दुनिया का इकलौता दोस्तों की याद में बनाया गया मंदिर कहां है. आइए आज हम आपको बताते हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जो दुनिया के सबसे अच्छे दोस्त श्रीकृष्ण और सुदामा जी की दोस्ती की याद में बनाया गया है.
Friendship Day : 6 अगस्त को देश भर में फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है. हर दोस्त इस दिन को अपने ही अंदाज में मनाता है. दोस्ती के कई किस्से पढ़ें और सुनाए जाते हैं. इस मौके पर आइए आज हम आपको मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित नारायणा मंदिर के बारे में बताते हैं, जो दोस्ती के लिए मशहूर है. दरअसल इस मंदिर का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा से है. लोक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण जब शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से संदीपनि ऋषि के आश्रम में आए थे. यहीं पर उनकी मित्रता एक गरीब ब्राम्हण सुदामा से हुई थी.
एक दिन उनकी गुरु माता ने श्रीकृष्ण और सुदामा को आश्रम के उपयोग के लिए लकड़ियां लाने जंगल में भेजा. जंगल में लकड़ियां बीनते समय अचानक तेज बारिश शुरु हो गई. रात का अंधेरा होने की वजह से उन्हें एक स्थान पर रुकना पड़ा. इसी स्थान को 'कृष्ण-सुदामा धाम' के नाम से जाना जाता है, जो नारायणा गांव में स्थित है. इस मंदिर को 'मित्रता के मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है.
मंदिर में एक लकड़ी के गट्ठर भी रखे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि कृष्ण-सुदामा द्वारा एकत्रित की हुई लकड़ियां हैं, जिन्हें वो बारिश की वजह से ले नहीं जा पाए थे. उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के करीब 9 किमी दूरी पर स्थित ये मंदिर भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके मित्र सुदामा की पूजा की जाती है.
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ये मंदिर उज्जैन से 35 किमी दूर महिदपुर तहसील में स्थित है. बताया जाता है कि भागवत पुराण के दसवें स्कंद में नारायणा गांव के इस मंदिर का उल्लेख है. यहां के पुजारी का कहना है कि ''विश्वभर में इनका और कहीं मंदिर नहीं है. यह मंदिर दोस्ती के नाम पर मिसाल है. यहां प्रतिदिन दर्शनार्थी आते हैं. सामान्य दिनों में यहां कथा भागवत व भजन-कीर्तन आदि किए जाते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां मेला लगता है. करीब दो लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. जन्माष्टमी उत्सव रक्षाबंधन से ही आरंभ हो जाता है.''
भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती का प्रमाण नारायण धाम मंदिर में स्थित पेड़ों के रूप में अभी भी देखा जा सकता है. इस मंदिर में दोनों ओर स्थित हरे-भरे पेड़ों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि ''ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों के फले-फूले हैं जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी.''
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