UP News: यूपी में डॉक्टर कर पाएंगे निजी प्रैक्टिस, योगी सरकार कुछ शर्तों के साथ देगी मंजूरी
Lucknow News: मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों के लिए अच्छी खबर है. निजी प्रैक्टिस करने की चाह रखने वाले डॉक्टरों को सरकार कुछ शर्तों के साथ यह सुविधा देने जा रही है. चिकित्सा शिक्षा विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है.
मयूर शुक्ला/लखनऊ: डॉक्टरों का पलायन रोकने को प्रदेश सरकार नई पहल करने जा रही है. निजी प्रैक्टिस करने की चाह रखने वाले डॉक्टरों को सरकार कुछ शर्तों के साथ यह सुविधा देने जा रही है. शर्त यह होगी कि उन्हें निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलेगी लेकिन मरीज उन्हें सरकारी चिकित्सा संस्थान परिसर में ही देखने होंगे. लखनऊ के कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट से इसकी शुरुआत करने की तैयारी है. चिकित्सा शिक्षा विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है.
सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर है रोक
सरकारी अस्पतालों में फैकल्टी का बड़ा संकट है. सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस करने पर रोक है. इसीलिए उनके पलायन को रोकने के लिए यह पहल की गई है. हालांकि अभी डॉक्टर को निजी प्रैक्टिस सरकारी संस्थानों में ही करनी होगी. सूत्रों की मानें तो डॉक्टरों को दोपहर 2 बजे तक मौजूदा स्थिति की तरह ही मुफ्त में मरीज देखने होंगे. 2 बजे के बाद फीस लेकर मरीज देख सकेंगे. इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही अमल में लाया जाएगा.
डॉक्टरों की फीस के लिए भी तय किया जा रहा फॉर्मूला
मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के लिए फीस का फॉर्मूला भी तय किया जा रहा है. फिलहाल जिस फॉर्मूले की चर्चा है. उसके हिसाब से फीस से मिलने वाली धनराशि का 70 फ़ीसदी चिकित्सक और 30 फ़ीसदी संस्थान को मिलेगा. इसके पीछे विभाग का तर्क है कि निजी प्रैक्टिस के लिए डॉक्टर को अलग सेटअप बनाने में कोई खर्च नहीं करना होगा.
क्या बोले यूपी के स्वास्थ्य मंत्री?
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि हम इस मामले पर काम कर रहे हैं. जल्दी इस पर बड़ा फैसला लिया जाएगा, प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करना सरकार की प्राथमिकता है. वहीं लोक बंधु अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अजय शंकर त्रिपाठी ने इस मामले पर कहा कि सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. इससे न ही सिर्फ डॉक्टर बल्कि मरीजों को भी बहुत फायदा होगा.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा काम किया जा रहा है. इसी के तहत हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने का काम चल रहा है. 14 नए कॉलेज के भवन भी बनकर तैयार हो चुके हैं लेकिन दिक्कत फैकल्टी की है. डॉक्टरों की कमी की वजह से एक तरफ जहां मरीजों के इलाज में दिक्कतें आती हैं, वहीं दूसरी तरफ मेडिकल की पढ़ाने के लिए चिकित्सा शिक्षकों की भी कमी है.
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