IPS Prabhakar Chaudhary: 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रभाकर चौधरी का नाम तबादलों के कारण सुर्खियों में रहता है. उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर के निवासी प्रभाकर चौधरी का करियर अब तक करीब 20 तबादलों से गुजरा है, और वह 15 जिलों की कमान संभाल चुके हैं. अब उन्हें अलीगढ़ रेंज का आईजी नियुक्त किया गया है.


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पहली बार में पास की UPSC
प्रभाकर चौधरी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई की. 2010 में पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और नोएडा में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में अपनी सेवाएं शुरू कीं. इसके बाद उन्होंने कानपुर, बनारस, बलिया, बुलंदशहर और मेरठ जैसे जिलों में पुलिस बल के साथ कार्य किया.


तबादलों के बाद भी दृढ़
ललितपुर जिले में 2015 में उनकी पहली एसपी के रूप में नियुक्ति हुई, लेकिन 11 महीने बाद ही उनका तबादला कर दिया गया. इसके बाद देवरिया, बलिया, कानपुर देहात, बिजनौर, मथुरा, सीतापुर, बुलंदशहर, सोनभद्र, वाराणसी, मुरादाबाद, आगरा, बरेली जैसे महत्वपूर्ण जिलों में प्रभाकर चौधरी की तैनाती हुई. मथुरा में उनकी अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति चर्चा का विषय बनी. अपराध पर नकेल कसने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उनकी कई बार प्रशंसा हुई, लेकिन स्थानीय नेताओं से टकराव के कारण उन्हें केवल 3 महीने में ही तबादला कर दिया गया.


विभिन्न जिलों में चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियां  
प्रभाकर चौधरी की तैनाती के दौरान कई घटनाएं हुईं, जैसे मथुरा में व्यापारियों के अवैध धंधों पर कार्रवाई, सीतापुर में वकीलों का उपद्रव, बुलंदशहर में एसपी के रूप में चुनौतीपूर्ण कार्यकाल, और सोनभद्र में उंभा कांड के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखना. वह अपराधियों के लिए हमेशा सख्त रहे और कानून का पालन सुनिश्चित करने में कोई समझौता नहीं किया. 


फिटनेस और कमांडो ट्रेनिंग
प्रभाकर चौधरी अपनी फिटनेस के लिए जाने जाते हैं और एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने कानपुर देहात में ट्रेन हादसे के दौरान खुद राहत कार्यों की निगरानी की और वाराणसी की गलियों में साइकिल चलाकर आम जनता से फीडबैक लिया. इस प्रकार के कार्यों से वह जनता के बीच लोकप्रिय हो गए. 


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काम का अनोखा अंदाज 
प्रभाकर चौधरी का अनोखा अंदाज और काम करने की शैली उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग करती है. उन्होंने कई मौकों पर थाने में जाकर शिकायतकर्ता की तरह खुद एफआईआर लिखाने की कोशिश की, जिससे वे पुलिस कर्मियों के बीच भी लोकप्रिय हो गए. 


प्रभाकर चौधरी की ये विशेषताएं उन्हें कानून के प्रति समर्पित और जनता की सेवा में निष्ठावान अधिकारी के रूप में स्थापित करती हैं. उनके कार्यकाल में अपराधियों के खिलाफ सख्ती, जनता के लिए त्वरित कार्रवाई, और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उनका दृष्टिकोण प्रशंसनीय है.


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