सूर्य नमस्कार और सरस्वती पूजा के विरोध में उतरा जमीयत उलेमा-ए-हिंद, मुस्लिम छात्रों से दूर रहने को कहा
Protest for Surya Namaskar: जमीयत उलेमा ए हिंद शिक्षण संस्थानों में सरस्वती वंदना, धार्मिक गीतों और सूर्य नमस्कार जैसी गतिविधियों को लेकर विरोध में उतर आया है. मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना सुफियान निजामी ने मुस्लिमों से आह्वान किया है कि वो सूर्य नमस्कार या किसी तरह की इबादत में अपने बच्चों और छात्रों को शरीक न होने दें.
Jamiat Ulema-e-Hind Against Surya Namaskar: कभी आधुनिक शिक्षा की वकालात करने वाले जमीयत उलेमा ए हिंद अब स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में सूर्य नमस्कार और सरस्वती वंदना जैसी गतिविधियों के विरोध में उतर आया है. मुस्लिम धर्मगुरु सुफियान निजामी ने एक बयान जारी कर मुस्लिमों से आह्वान किया है कि वो अपने बच्चों और छात्रों को सूर्य नमस्कार या इसी तरह की इबादत में शामिल न होने दें.
जमीयत ने स्कूलों में सरस्वती वंदना, धार्मिक गीतों और सूर्य नमस्कार जैसी गतिविधियों को अधार्मिक बताया है. जमीयत मुख्यालय में दो दिवसीय एक अधिवेशन हुआ जिसमें मुस्लिम छात्रों से सूर्य नमस्कार और इसी तरह की गतिविधियों का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया. साथ ही एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें आधुनिक शिक्षा के साथ कुरान पढ़ने, कंठस्थ करने और फारसी शिक्षा की पैरोकारी की है.
मौलाना सुफियान निजामी का पूरा बयान
जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से मुस्लिम धर्मगुरु सुफियान निजामी ने अपने बयान में कहा है कि हिंदुस्तान के संविधान ने सभी लोगों को यह हक दिया है कि वह अपने-अपने मजहब के लिए पूरी तरह से तरीके से आजादी पर अमल करें जाहिर सी बात है, हमारा मजहब इस्लाम हमें इस चीज की तालीम देता है कि हम सिर्फ अल्लाह की इबादत करें. अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करें जो बात जमीयत उलेमा हिंद की तरफ से कही गई है कि सूर्य नमस्कार या किसी तरह की इबादत में मुसलमान अपने बच्चों और अपने छात्रों को शरीक होने ना दें और यह बिल्कुल जायज बात है. यह बात पहली बार नहीं कही गई है हर बार कई ओलमा यह बात कह चुके हैं. मजहबे इस्लाम में जो तालीम में उसमें यकीन ही तोर से यह बात कही गई कि अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करें ना किसी की इबादत करें. अब चाहे सूर्य नमस्कार हो या कोई भी ऐसा मामला हो जो हमारे मजहब के खिलाफ हो यह हमारे मजहब में उसकी इजाजत नहीं है तो हमारी यह गुजारिश है तमाम मुसलमान इस पर अमल कर इसे अपने इख्तियार में लाएं.
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