नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश के कासगंज में भड़की हिंसा के बाद हालात सामान्य करने के लिए पूरा सरकरी अमला जुटा हुआ है. वहीं योगी सरकार ने एक्शन लेते हुए कासगंज के पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह को हटा दिया है. ऐसे में स्थानीय विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह पर आरोप लगे थे कि जब कासगंज में हिंसा भड़की थी, तब वह शहर से 25 किलोमीटर दूर कैलाश खेर का लाइव शो देख रहे थे. इस कार्यक्रम का वीडियो टीवी चैनलों पर प्रसारित होने के बाद विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह की सफाई आई है. विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, 'हम कार्यक्रम नहीं देख रहे थे. हम बस कार्यक्रम के आखिर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने गए थे.' उन्होंने ये भी कहा कि कासगंज में हिंसा शांत होने सूचना मिलने के बाद वह म्यूजिकल कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे.


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हालांकि आरोप लग रहे हैं कि कैलाश खेर के म्यूजिकल कार्यक्रम में एटा के डीएम, एसएसपी और कई बड़े अधिकारियों सहित फरुखाबाद के बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत, एटा मारहरा के विधायक वीरेंद्र वर्मा, कासगंज सदर विधायक देवेंद्र लोधी, अमांपुर विधायक देवेंद्र वर्मा रात भर मौजूद रहे.



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कासगंज के SP हटाए गए
कासगंज हिंसा के मामले में सरकार ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक को हटा दिया. सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि कासगंज के पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह को हटा दिया गया है. उनके स्थान पर पीयूष श्रीवास्तव को पुलिस कप्तान बनाया गया है.


'कलंक' और शर्म की बात है कासगंज में हुई हिंसा : राज्यपाल
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने गणतंत्र दिवस पर कासगंज में दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प को 'कलंक' और शर्मनाक करार देते हुए आज कहा कि मामले में सरकार को और गहराई से जांच करनी चाहिए. राज्यपाल ने यहां कहा, ‘कासगंज में जो भी हुआ, वह किसी को शोभा नहीं देता है. किसने शुरुआत की और किसने बाद में जवाब दिया, यह बात तो जांच में बाहर आयेगी, लेकिन निश्चित तौर पर कासगंज में जो भी घटनाएं हुईं वे उत्तर प्रदेश के लिये कलंक हैं. सरकार इसकी जांच कर रही है और इसमें कड़ा से कड़ा रुख अपनाया जाना चाहिए.’


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उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोग जो माहौल को खराब करते हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए कम है. मैं चाहता हूं कि सरकार और तफसील में जाकर जांच करे. पिछले आठ नौ-माह के दौरान प्रदेश में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई थी. यह (कासगंज की घटना) हम सब के लिये शर्म की बात है. मैं आशा करता हूं कि ऐसे कदम उठाये जाएंगे कि उत्तर प्रदेश में फिर कभी ऐसे दंगे नहीं हों.’


मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर कासगंज शहर में कथित रूप से आपत्तिजनक नारों को लेकर दो समुदायों के बीच पथराव और गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गयी थी तथा कुछ अन्य घायल हो गये थे. घटना के बाद से शहर में रह-रहकर हिंसक वारदात हुईं. मामले में अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 


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इस बीच, कासगंज शहर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. हालांकि अधिकतर बाजार अब भी बंद हैं, लेकिन सड़कों पर लोगों का आवागमन शुरू हो चुका है. बहरहाल, जिला प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को एहतियातन आज रात 10 बजे तक बंद रखा है. पुलिस, पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स की टुकड़ियां शहर में लगातार गश्त कर रही हैं. शहर की सीमाएं अब भी सील हैं.