मयूर शुक्ला/लखनऊ: लखनऊ के चिड़ियाघर(Lucknow Zoo) में लंबे समय से रह रहे बब्बर शेर पृथ्वी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहा है. मिली जानकारी के अनुसार उनसे कई दिनों से खाना पीना छोड़ दिया है. पृथ्वी की यह हालत देख शेरनी वसुंधरा भी काफी परेशान है. वसुंधरा घूम-फिर कर पृथ्वी के पास आती और उसे सूंघने के बाद निराश होकर वापस लौट जाती. इस दृश्य से चिड़ियाघर शांत और मायूस हो रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीमार चल रहा बब्बर-शेर
प्राणि उद्यान का इकलौते वृद्ध नर बब्बर शेर पृथ्वी पिछले दस दिन से बेहद बीमार है. वह कुछ खा पी भी नहीं पा रहा है. ज़ू चिकित्सक के मुताबिक पृथ्वी अब 17 वर्ष का हो गया. वृद्धावस्था के चलते वो बहुत कमजोर हो गया है. वह चलने-फिरने में भी असमर्थ है। उसे आईवी फ्लूड और जीवन रक्षक दवाएं लगातार दी जा रहीं हैं. पृथ्वी -वसुंधरा दोनों बिलासपुर छत्तीसगढ के चिड़ियाघर में अपने बेमिसाल साथ के लिए मशहूर रहे हैं. 


रखा जा रहा ख्याल 
तेजतर्रार पृथ्वी की दहाड जू कैंपस में ही नहीं, पूरे क्षेत्र में उसकी मौजूदगी दर्ज कराती रही है. लेकिन अब हर किसी की जुबान पर पृथ्वी के जल्द सेहतमंद होने की दुआएं हैं. लोग पृथ्वी की सेहत को लेकर लगातार पूछ रहे हैं. जू प्रशासन लगातार उसका हेल्थ बुलेटिन जारी कर रहा है. आज भी वसुंधरा को अपने कुनबे को लेकर चिंता है. हरदम बाडे में चहलकदमी करने वाले पृथ्वी को इतना शांत-निढाल देखकर बेहद शांत है. जू कीपर बताते हैं दोनों को एक साथ ही खाना दिया जाता है. दोनों साथ ही खाते रहे हैं.


शेरों की औसत आयु 14 से 15 साल होती है लेकिन चिड़ियाघर में देखभाल के चलते इनकी उम्र बढ़ जाती है. यही वजह है कि पृथ्वी 17 साल का हो गया है लेकिन अब उसका शरीर साथ छोड़ने लगा है. ऐसे में ज़ू में शोक की लहर है और सभी पृथ्वी के स्वास्थ की कामना कर रहे हैं.


दर्शकों के लिए खास है ये दोनों की जोड़ी 
वसुंधरा और पृथ्वी के छत्तीसगढ के चिड़ियाघर भी बच्चे हुए थे. जो छत्तीसगढ चिड़ियाघर का खास आकर्षण बने थे. खनऊ चिडियाघर आए तो लगभग 7-8 वर्ष के थे. यहां आने के बाद जू दर्शकों के बीच वसुंधरा और पृथ्वी फिर एक बार आकर्षण का केंद्र बने. पृथ्वी और उसकी संगिनी मादा बब्बर शेरनी वसुंधरा ने लखनऊ चिडियाघर में वर्ष 2015 में चार बच्चों को जन्म दिया था.


नामकरण के लिए चिडियाघर प्रशासन ने स्कूलों के बच्चों से नाम के सुझाव मांगे। तब चारों बच्चों के नाम टीना, मीना, पिंकी और नाज रखे गए। चारों में शावक पिंकी शारीरिक रुप से पैदाइशी कमजोर थी. वह ठीक से चल नहीं पाती थी, अक्सर चलते समय गिर पडती थी. चिडियाघर के कीपर बताते हैं कि तब भी वसुंधरा बहुत केयरिंग थी. जब भी बाडे में पिंकी गिरती, तो वसुंधरा तुरंत कूदकर उसे मुंह में दबा लाती और अपने पास बैठा लेती थी. जू चिकित्सकों की लगातार देखभाल के बाद शावक पिंकी चलने-फिरने लगी थी. लेकिन कुछ वर्षों बाद ही वह चल बसी.


WATCH: मंगल का सिंह राशि में प्रवेश, इन 3 राशि के जातकों की किस्मत में अब होगा मंगल ही मगंल