Sone Lal Patel: कांशीराम के चेले सोनेलाल पटेल ने कैसे गुरु के खिलाफ ठोकी ताल, अपना दल बनाकर दिखाई पिछड़ों की ताकत
Sone Lal Patel birth anniversary: कांशीराम के साथ से राजनैतिक सफर की शुरुआत, बसपा से निकलकर सोनेलाला ने इस तरह की अपना दल स्थापना की.
अपना दल की स्थापना
सोने लाल पटेल (2 जुलाई 1950 - 18 अक्टूबर 2009) ने अपना दल की स्थापना तो की ही, इसके पहले बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक गिना जाता था.
सामाजिक असमानता के विरुद्ध
सोने लाल पटेल हमेशा ही जातिवाद का कड़ा विरोध करते रहे और सामाजिक असमानता के विरुद्ध लड़ते रहे.
कानपुर से एमएससी की डिग्री
सोने लाल पटेल 2 जुलाई 1950 को कन्नौज जिले के एक गांव बगुलीहाई गांव में जन्में. एक कुर्मी हिंदू परिवार में पैदा हुए सोनेलाल पटेल ने पंडित पृथ्वी नाथ कॉलेज, कानपुर से एमएससी की डिग्री हासिल की और कानपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में डॉक्टरेट किया. अपने
रैलियों में सक्रिय रूप से शामिल
राजनीतिक करियर में पहले तो सोने लाल पटेल ने चौधरी चरण सिंह के साथ हाथ मिलाया, सामाजिक असमानता और जातिगत शोषण के खिलाफ प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों के साथ ही रैलियों में सक्रिय रूप से शामिल होते रहे.
बहुजन समाज पार्टी की स्थापना में पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका
सोनेलाल पटेल का रास्ता कांशी राम से ऐसे जा मिला कि जाति-आधारित भेदभाव व सामाजिक अन्याय पर दोनों के विचार भी काफी हद तक मिलते रहे. कांशी राम के कहने पर ही बहुजन समाज पार्टी की स्थापना में पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
नेताओं की अनदेखी
हालांकि, बाद में मतभेद इतना अधिक बढ़ गया कि पटेल बसपा से अलग हो गए. उनके पार्टी से मोहभंग का एक कारण यह भी था कि कांशीराम का मायावती को भारी समर्थन देना.बाकी के नेताओं की अनदेखी कराना.
4 नवंबर 1995 को पार्टी स्थापना
बसपा से निकलकर सोनेलाल पटेल ने अपना दल की स्थापना की. 4 नवंबर 1995 को पार्टी स्थापना के बाद 2009 में फूलपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा सीट से उन्होंने चुनाव भी लड़ा.
क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में से एक
आज डॉक्टर सोनेलाल पटेल द्वारा स्थापित और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में से एक अपना दल यूपी का एक अहम राजनीतिक दल है. अपना दल (सोनेलाल) पार्टी विशेषकर उत्तर प्रदेश में सक्रिय है.
सीबीआई जांच की मांग
सोने लाल पटेल का निधन 2009 में कानपुर में एक दुखद सड़क दुर्घटना में हुआ. हालांकि, सड़क दुर्घटना और निधन को लेकर उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल ने सीबीआई जांच की मांग भी की थी.
लोकसभा चुनाव जीतीं
पटेल के निधन के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपना दल की बागडोर संभाल ली. वहीं बेटी अनुप्रिया पटेल ने साल 2014 में मिर्जापुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा चुनाव जीतीं.
मिर्जापुर से जीत
आगे चलकर अपना दल का भी विभाजन हो गया और फिर अनुप्रिया पटेल ने 'अपना दल (सोनेलाल)' नाम से पार्टी बनाली. साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में उन्होंने फिर से मिर्जापुर से जीत दर्ज की.
एनडीए की साथी
लोकसभा चुनाव 2024 में भी एनडीए की साथी के तौर पर मिर्जापुर लोकसभा सीट से अनुप्रिया पटेल ने जीत हासिल की. सपा के रमेश चंद्र को 37 हजार 810 वोटों से उन्होंने हरा दिया.