अटलजी ने 25 बार देखी थी ये फिल्म, बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड फिल्मों का भी था जुनून

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर यानी बुधवार को 100वीं जयंती है. भारतीय राजनेताओं की जब-जब बात की जाती है. अटल जी का नाम पहली पंक्ति में आता है. राजनीति से इतर वह लिखन-पढ़ने में भी खूब समय खर्च करते थे.

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अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को लेकर तैयारियां चल रही हैं. उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था.

 

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भारत रत्न से सम्मानित

अटल जी देश के तीन बार प्रधानमंत्री बने. उनको साल 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

 

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कोमल ह्रदय कवि

यह तो हम सब जानते हैं कि अटल जी  एक कोमल हृदय के कवि भी थे. उनकी कविताएं पत्थरों में भी जान फूंक दिया करती थीं. 

 

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अटल जी पसंदीदा मूवी

लेकिन क्या आपको पता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कविताओं और लिखने-पढ़ने के अलावा फिल्में देखना भी पसंद था. आइए जानते हैं उनकी पसंदीदा मूवी कौन-कौन सी थीं.

 

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अटल जी पसंदीदा मूवी

लेकिन क्या आपको पता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कविताओं और लिखने-पढ़ने के अलावा फिल्में देखना भी पसंद था. आइए जानते हैं उनकी पसंदीदा मूवी कौन-कौन सी थीं.

 

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हॉलीवुड की पसंदीदा मूवी

अटल जी हिंदी फिल्में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड मूवी देखना भी पसंद करते थे. उनको द ब्रिज ऑन द रिवर क्वाई फिल्म पसंद थी. हॉलीवुड की ये फिल्म लीडरशिप और एडेप्टेबिलिटी सिखाती है.

 

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बॉर्न फ्री

1966 में आई हॉलीवुड फिल्म बॉर्न फ्री का नाम भी अटल जी की फेवरेट मूवी की लिस्ट में है. आप भी हॉलीवुड की इस मूवी को देख सकते हैं.

 

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गांधी

1982 में आई इस फिल्म को हॉलीवुड फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर रिचर्ड अटेनबोरफ ने बनाया था. मूवी में अमरीश पुरी, बेन किंगस्ले, रोशन सेठ, रोहिनी हट्टागडी, जैसे कलाकार नजर आए.

 

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बॉलीवुड की ये फिल्में थीं पसंद

अटल जी की बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों को देखना पसंद था. इसमें तीसरी कसम, देवदास और बंदिनी शामिल है.

 

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25 बार देखी ये फिल्म

हेमा मालिनी ने एक बार खुलासा किया था कि अटल जी ने उनकी साल 1972 में आई फिल्म सीता और गीता खूब पसंद आई थी. उन्होंने इसको 25 बार देखा था.

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अटल जी की प्रसिद्ध रचनाएं

गीत नया गाता हूँ, क़दम मिला कर चलना होगा, आओ फिर से दिया जलाएँ, कौरव कौन, कौन पांडव और पुनः चमकेगा दिनकर जैसी रचनाएं आज भी लोगों की जुबां पर छाई रहती हैं.

 

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