UP Air Pollution: प्रयागराज से लेकर मेरठ तक प्रदूषण की मार, यूपी के इन शहरों में हवा हुई जहरीली
UP Air Pollution: इस बैठक में सभी प्रमुख हितधारकों जैसे कि भारत सरकार के पर्यावरण, कृषि, बिजली, पेट्रोलियम, सड़क परिवहन और राजमार्ग, आवास और शहरी कार्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालयों के सचिवों ने भाग लिया.
लखनऊ: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शुक्रवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) में सूचीबद्ध कार्यों को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया है. पीएमओ ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को धान की पराली जलाने में कमी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके. मिश्रा ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर उच्च स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही. उन्होंने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने और कम करने के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों की भी समीक्षा की. पीके. मिश्रा ने स्वच्छ ईंधन और ई-वाहनों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. वहीं, क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग बुनियादी ढांचे को विकसित करने का भी आह्वान किया.
हवा की क्वालिटी मोडरेट
यूपी की शहरों की बात करें तो प्रदूषण के मामले में उत्तर प्रदेश के कई शहरों का हाल बुरा है. उत्तर प्रदेश सिटी एयर पॉल्यूशन की बात करें तो प्रयागराज से लेकर मेरठ तक प्रदूषण की मार पड़ी है. प्रदूषण को लेकर कुछ शहरों की हालत पर आइए एक नजर डालते हैं. आगरा की एयर क्वालिटी पूअर है. अलीगढ़, प्रयागराज, बरेली, बदायूं और बुलंदशहर की हवा की गुणवत्ता पूअर है. वहीं बहरइच की हवा की क्वालिटी मोडरेट है.
यूपी के मुख्य सचिव का निर्देश
यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने निर्देश दिए है कि अगर किसान पराली जलाते हैं तो उनसे जुर्माना वसूला जाए और एफआईआर दर्ज कराई जाए. एनसीआर के आठ और 10 अन्य जिलों के डीएम-कमिश्नर के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में उन्होंने यह निर्देश दिए जिलों में पराली जलाने की कड़ी निगरानी की जाए. कौन से शहर में हवा की क्या क्वालिटी है, पूरा डेटा इस साइट पर जाकर देख सकते हैं- https://cpcb.nic.in//upload/Downloads/AQI_Bulletin_20231013.pdf
कड़ी निगरानी रखने का निर्देश
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने की घटनाओं में कमी सुनिश्चित करने के प्रयास में, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को इस मुद्दे पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया. उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों के माध्यम से धान की पराली का यथास्थान प्रबंधन करने और जैव-विघटक (बायो-डीकंपोजर) का उपयोग करने की सलाह दी. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को संबंधित प्रौद्योगिकी को बेहतर करने की भी सलाह दी.
निर्धारित लक्ष्यों का सख्ती से पालन
धान की पराली के यथास्थान प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने धान की पराली का आर्थिक उपयोग सुनिश्चित करने पर काम करने की सलाह दी. उन्होंने धान के भूसे के प्रभावकारी यथास्थान उपयोग के लिए गांठ बांधने, तह लगाने और पेलेटिंग, इत्यादि के लिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के साथ-साथ गांठदार भूसे के लिए पर्याप्त स्टोरेज सुविधाएं विकसित करने पर भी जोर दिया. इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट बायोमास में धान के भूसे पर फोकस करने के साथ जैवभार (बायोमास) के सह-दहन के लिए निर्धारित लक्ष्यों का सख्ती से पालन करने पर भी चर्चा की गई.
बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर
चर्चा के दौरान प्रमुख सचिव ने बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया जिसमें कई उपाय शामिल थे, जैसे कि बायोमास पेलेट की खरीद, विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी बेंचमार्क मूल्य को अपनाना, मार्च 2024 तक पूरे एनसीआर क्षेत्र में गैस अवसंरचना का विस्तार करना एवं आपूर्ति करना, और मांग पर बायोमास की शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित करना. इसके अलावा, अधिक परिचालन आयु वाले वाहनों, और ओवरलोडिंग एवं अन्य कारणों से स्पष्ट रूप से प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को बदलने के लिए सघन अभियान चलाया जाना चाहिए, और सभी संबंधित हितधारकों द्वारा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) में परिकल्पित कदमों का सख्ती से कार्यान्वयन किया जाना चाहिए.
समीक्षा बैठक में एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अधिकारियों के अलावा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी दिल्ली के प्रमुख सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/डीपीसीसी के अधिकारीगण भी मौजूद थे.
--आईएएनएस
एफजेड/एबीएम
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