अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के संजय गांधी अस्पताल में कथित रूप से लापरवाही बरतने के चलते एक महिला की मौत के बाद अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था. निलंबित करने के करीब 19 दिन बाद यानी कि शुक्रवार को अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं फिर से शुरू कर दी गयीं.


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यह है पूरा मामला...
अमेठी के राम शाहपुर की महिला मरीज दिव्या शुक्ला (22) की मौत के एक दिन बाद 17 सितंबर को स्वास्थ्य विभाग ने संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था और ओपीडी एवं आपातकालीन सेवाएं बंद कर दी थीं. इसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा बुधवार को संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर रोक लगाये जाने के एक दिन बाद कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को अपना धरना समाप्त कर दिया था. हालांकि अदालत का आदेश न मिलने की वजह से अस्पताल की सेवाएं शुरू नहीं हो सकी थीं. संजय गांधी अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अवधेश शर्मा ने शुक्रवार को बताया कि आदेश की प्रति मिलने में दो दिन के विलंब के कारण चिकित्सा सेवाएं शुरू करने में थोड़ा विलंब हुआ. उन्होंने कहा कि आज दोपहर बाद सेवाएं फिर से शुरू कर दी गयीं.


अवधेश शर्मा ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि आदेश की प्रति मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) सहित संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध करा दी गयी है. उन्होंने कहा कि आज सुबह से मरीज का आना शुरू हो गया था लेकिन आदेश की प्रति मिलने में विलंब हुआ जिस कारण दोपहर बाद चिकित्सीय प्रक्रिया शुरू हो सकी. शर्मा ने बताया कि आज चिकित्सकों से कहा गया है कि वह देर शाम तक ओपीडी चलाएंगे और जो भी मरीज आए हैं, जिनकी संख्या लगभग 100 के आसपास है, उनका परीक्षण एवं इलाज किया जाएगा.


स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में मामले ने तूल पकड़ लिया। अस्पताल प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग के फैसले के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ का रुख किया. अदालत ने सरकार के आदेश के खिलाफ अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवधेश शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर बुधवार को आदेश पारित करते हुए अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने बुधवार को कहा था कि अस्पताल के खिलाफ जांच जारी रहेगी । खंडपीठ ने लाइसेंस के निलंबन पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से अपना जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा था.