Lucknow News : संजीव जीवा के वो गुनाह जिसकी माफी मुमकिन नहीं, गैंगस्टर जेल से ऑपरेट करता गैंग
Lucknow News : गैंगस्टर आरोपी संजीव जीवा बाराबंकी जेल में रहते हुए युवाओं का गैंग ऑपरेट करता था और अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए प्रदेश में रंगदारी वसूली करवाने. हत्या करवाने और रियल स्टेट करोबार में बड़ी-बड़ी डील जेल से ही करने का काम करता था. उस पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं.
विशाल सिंह / लखनऊ : गैंगस्टर आरोपी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा बाराबंकी जेल में रहने के दौरान युवाओं का गैंग ऑपरेट करता था. अपनी बादशाहत कायम करने के लिए जीवा प्रदेश में रंगदारी वसूली, हत्या करवाना रियल स्टेट करोबार में बड़ी डील जेल से ही करवाता था. प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कोर्ट में मारा गया कुख्यात माफिया डॉन संजीव महेश्वरी जीवा जिले की कारागार में भी मई 2013 से मई 2015 तक निरुद्ध रहा है.
जेल से ही गैंग करता था ऑपरेट
आरोप हैं कि जीवा बाराबंकी जेल से ही अपना गैंग ऑपरेट करता था. उसने जेल में रहने के दौरान स्थानीय युवकों की फौज तैयार की थी और उनसे रंगदारी वसूली और जमीनों पर कब्जे का धंधा करवाता था. यहां पर रहने के दौरान इलाज के बहाने लखनऊ जाकर रियल स्टेट की बड़ी डील करता था. तत्कालीन सपा की सरकार में उसको सत्ता के मिले संरक्षण के कारण स्थानीय सपा नेताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा था.
सपा नेता अरविंद की हत्या
बंकी निवासी मुलायम सिंह यादव यूथ बिग्रेड के जिला महासचिव अरविंद यादव की बंकी बाजार में 15 जनवरी 2014 को दिन दहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था. इस दौरान जीवा बाराबंकी की जेल में बंद था. सपा नेताओं का आरोप था कि जीवा जेल से रियल स्टेट का धंधा कर रहा है. उसके इशारे पर कार्य न करने पर हत्या करा दी जाती है. यह भी कहा जाता था कि अरविदं यादव के पिता ने वारदात से तीन दिन पहले माफिया जीवा के इशारे पर शहर के ही युवकों रीशू जायसवाल, पंकज वर्मा आदि के माध्यम से किसी डील से अलग होने का दबाव बनाया था. इसकी जानकारी पिता ने एसपी रहे आनंद कुलकर्णी को लिखित में दी लेकिन कार्रवाई न होने से पहले ही हत्या कर दी गई.
अरविंद की हत्या क्यों?
तत्कालीन सीएम रहे अखिलेश यादव ने हत्या पर तब के एसपी आनंद कुलकर्णी को लापरवाही करने के आरोप में निलंबित किया था. रीशू जायसवाल सहित आठ पर हत्या का केस दर्ज हुआ था पर जीवा को नामजद न करने पर सपाइयों ने जीवा को जिला जेल से बाहर भेजने के लिए जमकर प्रदर्शन किए थे. बाबजूद इसके न जीवा नामजद हुआ और न ही उसकी जेल बदली गई थी. सपाइयों ने आरोप लगाया था कि अरविंद की हत्या इसलिए की गई क्योंकि वह पूर्वांचल के दूसरे माफिया पन्ना यादव के लिए कार्य करता था.
हुसेड़िया चौराहे पर किसान की हत्या
बाराबंकी जेल में बंद रहने के दौरान ही जीवा ने हाईवे के आसपास की गरीब किसानों की जमीनों को जबरन सस्ती कीमतों में खरीदने का कार्य जमकर किया था. चार अप्रैल 2015 को लखनऊ के थाना गोमतीनगर इलाके के हुसेड़िया चैराहा पर बाइक से जा रहे बाराबंकी के किसान पट्टू यादव की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. हत्या में नगर के अभयनगर निवासी शूटर को दबोचा गया. इस पर शूटर ने पुलिस से कहा कि पट्टू ने बाराबंकी जेल में बंद संजीव महेश्वरी जीवा के कहने के बाद भी जमीन बेचने से इंकार करने पर ही उसने पट्टू की हत्या की है. इस पर गोमतीनगर की पुलिस ने कोर्ट से 48 घंटे की कस्टडी रिमांड लेकर पूछताछ की थी. इस दौरान ही कई अन्य मामले आए जिनमें साफ हुआ कि जीवा ने बारांबकी जेल में रहना खुद चुना था. यहां से इलाज के बहाने जीवा लखनऊ जाता था और वहां पर सत्ता व रियल स्टेट की बड़ी डील में हिस्सा लेता था.
कोयला कारोबारियों से रंगदारी वसूली
बाराबंकी जेल में आने से पहले जीवा को प्रयागराज की नैनी जेल में रखा गया था. प्रयागराज की जेल में रहने के दौरान जीवा ने बाराबंकी में अपने स्लीपर माड्यूल के रूप में अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ टेनी व सुनील अवस्थी आदि की नई फौज तैयार की थी. इसके बाद जीवा ने बाराबंकी की रेलवे स्टेशन की साइडिंग पर पूर्वांचल के जिलों के ईंट भट्टों के आने वाले कोयला की खेप पर वसूली के लिए साल 2009 और 2011 में व्यापारियों को धमकी दी थी. वसूली के लिए उसके गुर्गे दो बार कोयले की रैक उतरने के स्थल पर जाकर बमबाजी कर दी थी. इस पर दो रंगदारी वसूली के केस बाराबंकी नगर की कोतवाली में दर्ज हुए थे. बाराबंकी की शहर कोतवाली में साल 2011 में गैंगस्टर का केस दर्ज किया गया था.
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