`अफसरों को बेवजह तलब न करें`, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटा, गाइडलाइन जारी की
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को समन के लिए सभी हाई कोर्ट के लिए अहम दिशानिर्देश जारी किए हैं. अदालत ने एक SOP तय की है, जिसका सभी उच्च न्यायालय पालन करेंगे.
UP News: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को समन के लिए सभी हाई कोर्ट के लिए अहम दिशानिर्देश जारी किए हैं. अदालत ने एक SOP तय की है, जिसका सभी उच्च न्यायालय पालन करेंगे. यूपी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश अदालत ने दिया है.
शीर्ष अदालत ने कहा, हाईकोर्ट को अधिकारियों को मनमाने तरीके से पेशी के लिए समन नहीं करना चाहिए. अगर हलफनामे से काम चल जाए तो वहां अफसरों की पेशी की ज़रूरत नहीं है. अगर अपवाद के तहत बहुत जरूरत हो तो ही अफसरों की पेशी के लिए समन जारी किया जाना चाहिए. पहला प्रयास होना चाहिए कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उनकी पेशी हो जाए.
हाई कोर्ट को अधिकारियों के ड्रेस कोड पर अनावश्यक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. जब तक ड्रेस उनके ऑफिस के ड्रेस कोड का उल्लंघन न हो. अफसरों को बिना वजह अदालती कार्यवाही में खड़े नहीं करना चाहिए. जब वह कोर्ट में बयान दे रहे हैं, तभी उनको अदालत में खड़े रहने की ज़रूरत है. हाई कोर्ट को अधिकारियों के व्यक्तित्व, शैक्षणिक और सामाजिक पृष्ठभूमि पर टिप्पणी से बचना चाहिए. अफसरों को परेशान करने वाली गैर जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए. हाई कोर्ट को आदेश पर अमल के लिए अधिकारियों को पर्याप्त समय देना चाहिए. अवमानना की कार्रवाई का फैसला बेहद सोच समझकर लेना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए पारित किया है. हाई कोर्ट ने यूपी के दो सचिवों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था. सेवानिवृत्त जजों और न्यायाधीशों के भत्तों के भुगतान को लेकर कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने पर कोर्ट ने ये आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते गए यूपी कैडर के दो IAS अधिकारियों वित्त सचिव एसएमए रिज़वी और स्पेशल सेकट्री (फाइनेंस) सरयू प्रसाद मिश्रा को तत्काल रिहा करने का आदेश भी दिया था.
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वो अपनी ओर से अधिकारियों को समन के मामले में SOP जारी करे. सरकार की ओर से एक ड्राफ्ट SOP भी कोर्ट में सौंपा गया था. सुप्रीम कोर्ट सरकार की इस मांग पर सहमत हो गया और इसके बाद कोर्ट का ये आदेश आया है.
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