Lucknow: लखनऊ में देश का 5वां सबसे बड़ा म्यूजियम है. यह म्यूजियम उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना संग्रहालय भी है. इस म्यूजियम में 6 करोड़ साल पुराना डायनासोर का अंडा और हाथी का 40 हजार साल पुराना दांत भी रखा हुआ है. यूपी की राजधानी में कई म्यूजियम हैं, लेकिन भू- गर्भ विभाग के द्वारा बनाया गया यह टैगोग लाइब्रेरी म्यूजियम बहुत ही अलग है. इस म्यूजियम में वेद, पुराण, कुरआन, गुरुग्रंथ साहिब व संविधान की मूल प्रतियां रखी गई हैं. इस म्यूजियम का मकसद है हमारी विरासत से जुडी महत्त्वपूर्ण चीजों को संरक्षित करके अगली पीढ़ी के लिए बचाकर रखना, ताकि हम अपने इतिहास से जुड़े रह सकें. उत्तर प्रदेश में कई संग्रहालय है. अगर बात करें लखनऊ स्थित राज्य संग्रहालय की तो यह राज्य का सबसे पहला म्यूजियम है. यहां पर लगभग डेढ़ लाख अनोखी चीजों का संग्रह हैं. अगर आप लखनऊ जाते हैं तो मामूली शुल्क देकर आप इस संग्रहालय में हजारों साल पुरानी वस्तुएं देख सकते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लखनऊ राज्य संग्रहालय का इतिहास 
कर्नल एबट सन्‌ 1862 में लखनऊ के मंडलायुक्‍त थे. उनका सोचना था कि प्रदेश की प्राचीन परम्पराओं व जन जीवन से ताल्लुक रखने वाली वस्तुओं को इकट्ठा किया जाए. सन्‌ 1863 ई० को छोटी छतर मंजिल में राज्य संग्रहालय लखनऊ की स्थापना हुई. 1880 ई० में इलाहाबाद से कुछ पुरातात्विक महत्व की चीजें लाकर इस संग्रहालय में रखी गयीं. आजादी के बाद 1948 में प्रदेश सरकार ने संग्रहालय पुनर्गठन समिति बनाई और 15 अगस्त सन्‌ 1956 को संग्रहालय के नए भवन का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री सम्पूर्णानन्द द्वारा किया गया. इसके बाद 1963 ई० को प्रधानमन्त्री स्वर्गीय पं जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया. 


ये खबर भी पढ़ें- Covid- 19: सावधान! कोरोना से फिर हुई मौत, इस राज्य में मिला नया वैरिएंट


क्या खास है लखनऊ म्यूजियम में 
लखनऊ म्यूजियम में कदम रखते ही इतिहास में पहुंच जाने का अहसास होता है.  यहां मिश्र देश की 3000 वर्ष पुरानी ‘ममी’ भी है. ममी यानि केमिकल लगाकर सुरक्षित रखा गया कोई मृत शरीर. लखनऊ संग्रहालय में मिस्र देश की 13 साल की लड़की की ममी सुरक्षित है, यह हजारों साल पुरानी है,  इसके साथ ही यहां आठवीं शताब्दी के सिक्‍के, अस्त्र-शस्त्र, पुराने तन्त्र, मूर्तियां, वाद्य-यन्त्र, वस्त्र, सिक्‍के देख सकते हैं. इसके अलावा राजा हर्षवर्धन के हस्ताक्षर किये हुए ताम्रपत्र भी यहाँ मौजूद हैं. श्रावस्ती, बहल, चन्दौसी, पूसानगर, हड़प्पा व मोहन जोदड़ो, भीतरगांव, काली बगान नेदासा जैसी जगहों जो प्राचीन मृर्तियां मिली हैं वह सभी यहां सुरक्षित रखी गयी हैं. इसके अलावा यहां पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का अस्थि कलश भी रखा गया है.