Supreme Court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर एक्शन को लेकर सुनवाई की और इसको लेकर बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को होने अगली सुनवाई तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट ने साफ कर दिया कि बिना अदालत की इजाजत के इस दरम्यान कोई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं होगी. हालांकि अदालत ने साफ किया कि अगर कहीं पर भी सड़क, फुटपॉथ, रेलवे लाइन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण है, तो वो बुलडोजर से हटाया जा सकता है. उस पर कोई रोक नहीं है. इस फैसले का पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती ने स्वागत किया है. अखिलेश ने कहा, बुलडोजर तो डराने और विरोधियों की आवाज दबाने का हथियार था. बुलडोजर कभी न्याय नहीं हो सकता. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कानूनी तरीके से कार्रवाई होगी.


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सुप्रीम कोर्ट की रोक पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि संवैधानिक एजेंसियों के इस तरह हाथ बांधना सही नहीं है. इस पर पीठ ने कहा, दो सप्ताह में ऐसा कोई आसमान नहीं फट पड़ेगा. जमीयत उलेमा ए हिंद ने मुरादाबाद, कानपुर, प्रयागराज और बरेली जैसे शहरों में बुलडोजर एक्शन का मुद्दा उठाया था.


बुलडोजर एक्शन पर जमीयत उलेमा ए हिन्द का सवाल
मुस्लिम संगठन की ओर से वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि रोजाना ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो रही है.इस पर केंद्र ने कहा कि 2022 में नोटिस जारी किए जाने के बाद अब बुलडोजर चलाया गया है. अपराध भी इनके बीच हुए.अदालत ने फिर इतनी जल्दबाजी में बुलडोजर एक्शन का प्रश्न उठाया. सरकार ने इस पर परसेप्शन बनाए जाने का मुद्दा उठाया. पीड़ितों की ओर से कोई भी कोर्ट नहीं गया, क्योंकि उन्हें पता है कि उनका निर्माण गैरकानूनी है.


मुस्लिमों को बनाया जा रहा निशाना
कोर्ट ने तब कहा, बाहरी गतिविधियों से हमारा कोई लेना देना नहीं है. किस समुदाय पर बुलडोजर चलाया जा रहा है, यह प्रश्न नहीं है. एक भी जगह गलत हुआ है तो यह गलत है.अवैध तरीके से किया गया अतिक्रमण का हम बचाव नहीं करते. लेकिन नौकरशाही को जज बनकर कार्रवाई करने की छूट नहीं दी जा सकती. हमारा उद्देश्य सिर्फ ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को न्यायसंगत और कानूनसम्मत बनाए रखना है. जमीयत उलेमा ए हिन्द ने कहा, कुछ मामलों में तो रातोंरात बुलडोजर चला दिया गया. खासकर भाजपाशासित राज्यों में मुस्लिमों को टारगेट करके बुलडोजर से कार्रवाई की गई है. 


सुप्रीम कोर्ट बुलडोजर एक्शन पर बनाएगा गाइडलाइन
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत तमाम राज्यों में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर तमाम याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में डाली गई थीं. याचिकाकर्ताओं में जमीयत उलेमा ए हिंद भी शामिल है. उसका कहना है कि बीजेपी शासित राज्यों में बुलडोजर से आरोपियों का घर दुकान आदि ढहाया जा रहा है, खासकर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. आरोपियों का दोष साबित होने के पहले ऐसी कार्रवाई किसी भी तरीके से उचित नहीं है.


यूपी में प्रयागराज से कानपुर तक चला बाबा का बुलडोजर
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद, वाराणसी में मुख्तार अंसारी जैसे माफिया डॉन पर कार्रवाई हुई है. वहीं अयोध्या में नाबालिग से गैंगरेप के आरोपी और कन्नौज में सपा नेता नवाब सिंह यादव पर बुलडोजर एक्शन लिया गया है. इससे पहले भी तमाम मामलो में आरोपियों के अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया है. उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों पर रोकथाम को लेकर बाबा बुलडोजर का ये एक्शन काफी चर्चा में है. 


पिछली सुनवाई में दिए थे संकेत
जस्टिस विश्वनाथन और जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि इस मुद्दे पर सुनवाई की.सुप्रीम कोर्ट ने दो सितंबर को पिछली सुनवाई में संकेत दिया था कि वो बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन जारी कर सकता है. हालांकि आज संभवतः सुनवाई न पूरी होने के कारण उच्चतम न्यायालय ने फिलहाल एक अक्टूबर तक इस पर रोक लगा दी है. पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने 2 सितंबर को सवाल उठाया था कि किसी पर सिर्फ आरोप होने के कारण क्या किसी का घर दुकान या प्रतिष्ठान गिराया जा सकता है. 


कांग्रेस ने बुलडोजर एक्शन पर किया हमला
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि बुलडोजर एक्शन से पूरा परिवार प्रभावित होता है.कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी (UP Congress) का कहना है कि यह फैसला यूपी सरकार पर तमाचा है. सरकार प्रदेश में बुलडोजर एक्शन के जरिये भय का माहौल बनाना चाहती थी. लोकतांत्रिक अधिकारों को परे रखकर योगी आदित्यनाथ सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही थी. घर टूट जाने से किसी अपराधी का घर टूटता है, अपराधी तो जेल में होता है. सजा अपराधी को दी जाती है, उसके परिवार को नहीं. यह सरकार का तानाशाही रवैया था.


BJP की सधी प्रतिक्रिया
बीजेपी प्रवक्ता संजय चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रुख का यूपी सरकार की कार्रवाई पर कोई टिप्पणी नहीं है. सरकार ने विधिसम्मत कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कानून सम्मत कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई है. कानून का शासन है. निश्चित तौर पर कानूनी और संवैधानिक तौर पर ही एक्शन लिया है.


मुस्लिम विद्वान भी बुलडोजर पर बोले
मुस्लिम विद्वान करारी अबरार जमाल ने कहा कि न्यायालय के फैसले का स्वागत है. लेकिन बुलडोजर एक्शन से अपराधियों के हौसले पस्त हैं. अपराधी गले में तख्ती डालकर घूम रहे हैं, वो माफी की मांग कर रह हैं. लगता है कि जब से बुलडोजर जब से आया है, यूपी का माहौल काफी हद तक शांत है.  


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