UP Homeguard News: लाचार होमगार्डों के आश्रितों को नौकरी पर राहत, यूपी सरकार ने रोक हटाई
Lucknow News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिव्यांग होमगार्डों के परिवारों को आर्थिक सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. सरकार ने स्थायी रूप से दिव्यांग हो चुके होमगार्डों की नियुक्ति पर लगी रोक हटा दी है, इस फैसले से 250 से अधिक लंबित मामलों का समाधान जल्द होने की संभावना है.
UP Homeguard News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिव्यांग होमगार्डों के परिवारों को आर्थिक सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने स्थायी रूप से दिव्यांग हो चुके होमगार्डों के आश्रितों की नियुक्ति पर लगी रोक हटा दी है. इस फैसले से उन परिवारों में उम्मीद की नई किरण जगी है, जो लंबे समय से नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता की मांग कर रहे थे.
पारदर्शिता के लिए बनी नई बहुस्तरीय प्रक्रिया
योगी सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए बहुस्तरीय जांच प्रक्रिया लागू की है. इस नई व्यवस्था के तहत चार चरणों में आवेदन की जांच और सिफारिशें की जाएंगी:
1. जिलास्तरीय जांच: आवेदन की पहली जांच जिलास्तरीय सीएमओ समिति द्वारा की जाएगी.
2. जिला कमांडेंट की सिफारिश: जिलास्तरीय समिति की सिफारिश मिलने पर आवेदन जिला कमांडेंट द्वारा डीजी होमगार्ड के पास भेजा जाएगा.
3. मुख्यालय स्तर पर जांच: डीजी होमगार्ड कार्यालय में गठित वरिष्ठ अधिकारियों की समिति सभी तथ्यों की गहन जांच करेगी.
4. अंतिम निर्णय: डीजी होमगार्ड समिति सिफारिशों के आधार पर अंतिम निर्णय लेगी.
2022 में अनियमितताओं के बाद नियुक्ति पर लगी थी रोक
पिछले वर्षों में अपात्र उम्मीदवारों की भर्ती और अनुग्रह राशि के दुरुपयोग की घटनाओं ने सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने और इसमें सुधार की दिशा में काम करने के लिए मजबूर किया. लेकिन योगी सरकार ने इसे सुधार का अवसर मानते हुए नई प्रक्रिया लागू की है.
लंबित मामलों का होगा निपटारा
योगी सरकार के इस कदम से 250 से अधिक लंबित मामलों का समाधान जल्द होने की संभावना है. इन परिवारों को अब अनिश्चितता से छुटकारा मिलेगा और उन्हें न्याय मिल सकेगा.
सरकार की मानवता और संवेदनशीलता का उदाहरण
सीएम योगी का यह फैसला केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि होमगार्डों और उनके परिवारों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण का प्रमाण है. यह कदम उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जो अपने प्रियजन के दिव्यांग होने के बाद आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे.
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