UP Higher Judicial Service: यूपी में उच्चतर न्यायिक सेवा के पदों में इजाफा, अब 1340 पद, भर्ती की शर्तें भी बदली गईं
UP Higher Judicial Service: उच्चतर न्यायिक सेवा के पदों में यूपी में इजाफा किया गया है ताकि लोग त्वरित न्याय पा सकें. कोर्ट में इसके लिए न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति पर्याप्त संख्या में किया जाना जरूरी है. यूपी की योगी सरकार ने इस पर गौर करते हुए न्यायिक सेवा के अधिकारियों की संख्या में इजाफ करने का फैसला किया है. कैबिनेट की इस पर मुहर भी लग गई है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में उच्चतर न्यायिक सेवा के पदों को फिलहाल बढ़ाया गया है. जिन पर अप योग्य उम्मीदवारों के चयन को लेकर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. यूपी पुलिस में पिछले दिनों भर्ती निकलने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब उच्चतर न्यायिक सेवा भर्ती की तैयारियां शुरू की हैं. जानकारी दे दें कि पहले उच्चतर न्यायिक सेवा के 150 पद यूपी में थे जिनमें वृद्धि करते हुए इसे 1340 कर दिया गया है. दरअसल, कानून व्यवस्था पर यूपी सरकार की ओर से लगातार काम किया जा रहा है. कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने पर भी काफी काम किया जा रहा है लेकिन, कोर्ट से अपराधियों को सजा के बाद इसका असर और अधिक दिखाई देता है.
स्थायी व अस्थायी पद
कोर्ट में जजों की पर्याप्त संख्या में वृद्धि करपेंडिंग मामलों के जल्द निष्पादन के साथ ही अपराधियों को नए मामलों में सजा दिलाने की तैयारी यूपी सरकार कर रही है. त्वरित न्याय हो सके इसके लिए उच्चतर न्यायिक सेवा के पदों की संख्या में इजाफा किया जाना एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. इतना ही नहीं इस प्रस्ताव को योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में हरी झंडी भी दिखा दी गई है. प्रदेश में अब हायर जूडिशियल सर्विस के पदों की संख्या 1340 होंगे, जिनमें 799 पद स्थायी और 541 पद अस्थायी हैं.
नये नियम व शर्तें
यूपी सरकार की ओर से उच्चतर जूडिशियल सर्विस के ये पद जिला सत्र न्यायाधीश व अपर सत्र न्यायाधीश के हैं जो नए सिरे से तय किए गए हैं. गुरुवार को कैबिनेट ने उच्चतर न्यायिक सेवा की भर्ती प्रक्रिया में भी शर्तों और नियमों में बदलाव किया है. नए नियम के अनुसार, अगर 10 से अधिक आवेदन पद के लिए होंगे तो उसके लिए प्री व मेंस परीक्षा का आयोजन होगा. 7 साल न्यूनतम वकालत की प्रैक्टिस व 30 विशिष्ट श्रेणी में आवेदनकर्ता को केस लड़ना जरूरी होगा. विज्ञापन जारी होने की तारीख से लेकर तीन साल पहले की इन केसों की अवधि हो.