Lucknow: लखनऊ के जानकीपुरम के पास सीतापुर रोड पर बने आनंद आश्रम की गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने 28 जनवरी को समाधि ले ली है. समाधि में जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों को एक वीडियो जारी कर संदेश दिया था कि वह समाधि में जा रही हैं ताकि उनके गुरु आशुतोष महाराज जो कि 10 साल पहले ही समाधि ले चुके हैं अपने शरीर में वापस आ जाएं. इसके बाद उनके शिष्यों ने गुरु मां के शव को भी सुरक्षित करने के लिए कोर्ट में याचिका दी है. 


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भक्तों में उदासी
साध्वी आशुतोषाम्वरी की समाधी की खबर सुनने के बाद उनके आश्रम में लगातार भक्तों का तांता लगा हुआ है. भक्तों को देखकर लग रहा है कि उनकी साध्वी की समाधि से गहरे सदमे में हैं. एक भक्त ने कहा कि आगे क्या होगा?  इसको लेकर कुछ भी कहा नहीं जा सकता. लोगों ने मुझे बताया कि मां आशुतोषांबरी ने समाधि ली है. यहां लोग आते-जाते हैं और देखते हैं. वहीं आश्रम के पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति ने बात करते हुए कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता. हर किसी की अपने धर्म के प्रति अपनी-अपनी आस्था होती है. 


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10 साल पहले गुरु ने ली थी समाधि
दरअसल, लखनऊ के आनंद आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी ने बीते 24 जनवरी 2024 को ये कहते हुए समाधि ले ली थी कि वो महीनेभर के अंदर अपने गुरु आशुतोष महाराज को भी समाधि से वापस बुला लेंगी और खुद भी समाधि से लौट आएंगी. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी ना बाबा आशुतोष महाराज समाधि से वापस लौटे हैं और न ही उन्हें बुलाने के लिए समाधि में गईं उनकी शिष्या आशुतोषांबरी के शरीर में कोई हलचल है. 


सनातन धर्म में पहले से परंपरा
सनातन धर्म में समाधि का इतिहास काफी पुराना है. सनातन धर्म के कई ग्रंथों में बताया गया है कि हजारों सन्यासियों और साधुओं ने अपना जीवन समाधि लेकर ही पूरा किया है. लखनऊ के आनंद आश्रम में गुरु मां की समाधि उनके शिष्यों के लिए जहां आस्था का विषय है वहीं कई लोग इस पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं. समाधि पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक दूसरे शख्स के समाधि में जाने से कोई दूसरा शख्स अपने शरीर में वापस आ सकता है?